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Joint Rally in Bengal: मोदी और ममता एक सिक्के के दो पहलू, सरकार की प्रशासनिक विफलता उजागर

दोनों की प्रशासनिक विफलता के विरोध में मंगलवार को कोलकाता के बिरला तारामंडल (हो ची मिन्ह सरणी ) के पास प्रदेश कांग्रेस और वाम दल ने संयुक्त रैली का आयोजन किया।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 09:03 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 09:03 PM (IST)
Joint Rally in Bengal: मोदी और ममता एक सिक्के के दो पहलू, सरकार की प्रशासनिक विफलता उजागर
Joint Rally in Bengal: मोदी और ममता एक सिक्के के दो पहलू, सरकार की प्रशासनिक विफलता उजागर

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक ही सिक्के का दो पहलू करार दिया और कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों की प्रशासनिक विफलता उजागर हो गई है। दोनों की प्रशासनिक विफलता के विरोध में मंगलवार को कोलकाता के बिरला तारामंडल (हो ची मिन्ह सरणी ) के पास प्रदेश कांग्रेस और वाम दल ने संयुक्त रैली का आयोजन किया। दोनों दलों के नेता आंदोलन में शामिल हुए। 

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प्रदीप भट्टाचार्य ने कोलकाता में पत्रकारों से कहा, मोदी और ममता दोनों के लक्षण भी एक जैसे ही हैं। सिर्फ दोनों की कार्यशैली अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि ममता ने खुद स्वीकार किया है कि भ्रष्टाचार हुआ है, तो ऐसी स्थिति में सरकार को दोषी नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी। भट्टाचार्य ने कहा कि कोविड की समस्या को लेकर सरकार को जितनी गंभीरता से काम करना चाहिए था, उतनी गंभीरता से काम नहीं किया। राज्य में अराजक माहौल बन गया है। इससे लोगों में डर है। साथ ही सरकार के प्रति भारी अविश्वास भी है। सरकार पूरी तरह से स्थिति को संभालने में असफल रही है। 

वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बोस ने मीडिया से कहा कि राज्य सरकार कोविड-19 को रोकने में असफल हुई है। एम्फन से पीड़ित लोगों तक ईमानदारी से राहत नहीं पहुंच पायी है। सरकारी पैसे का भ्रष्टाचार के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं का पॉकेट भरा है। उन्होंने कहा कि पीड़ित लोग आज भी मारे-मारे फिर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल के अनेक जिलों में तृणमूल के कार्यकर्ता ही अपनी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इससे बड़ी अराजकता का उदाहरण और क्या हो सकता है। इसलिए ममता सरकार को न तो जान-माल की चिंता है और न जनता की चिंता है।


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