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खुद को मृत बता कर लिया मुआवजा, बहन को दिलाई रेलवे में नौकरी, 11 साल बाद भंडाफोड़

कोलकाता के जोड़ाबागान के रहने वाले एक शख्स पर ज्ञानेश्वरी ट्रेन हादसे में खुद को मृत बताकर मुआवजा पाने व बहन को रेलवे में नौकरी दिलाने का आरोप लगाया गया है। सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 09:13 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 09:13 PM (IST)
ज्ञानेश्वरी रेल हादसे में मृत पाए जाने वाला शख्स मिला जीवित

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोलकाता के जोड़ाबागान के रहने वाले एक शख्स पर ज्ञानेश्वरी ट्रेन हादसे में खुद को मृत बताकर मुआवजा पाने व बहन को रेलवे में नौकरी दिलाने का आरोप लगाया गया है। सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। अमृताभ चौधरी की मृत्यु 28 मई 2010 को ज्ञानेश्वरी ट्रेन दुर्घटना में हुई थी। डीएनए पहचान के बाद शव परिवार को सौंप दिया गया था। उसकी शादीशुदा बहन महुआ पाठक को मुआवजे के तौर पर 2011 में रेलवे में नौकरी मिल गई। लेकिन अमृताभ मरा नहीं था। दक्षिण पूर्व रेलवे ने संदेह के आधार पर विभागीय जांच की। इसके बाद दक्षिण पूर्व रेलवे के भ्रष्टाचार निरोधी संबंधी प्रशासनिक प्रभाग के महाप्रबंधक ने सीबीआइ में शिकायत दर्ज कराई।

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सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से उसके डीएनए का मिलान किया गया

-पता चला है कि अमृताभ चौधरी की उस दिन हादसे में मौत नहीं हुई थी। वह जीवित है। शव किसी और व्यक्ति का था। सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अमृताभ के डीएनए का मिलान किया गया। इस साजिश में बीमा एजेंट भी शामिल था।अमृताभ ने मृत दिखाकर भारतीय जीवन बीमा से भी रकम ले ली थी। अमृताभ के पिता मिहिर चौधरी और मां अर्चना चौधरी को सरकार की ओर से चार लाख रुपये का मुआवजा भी मिला था।

धोखाधड़ी के संबंध में अमृताभ, मिहिर, अर्चना, महुआ पाठक और अज्ञात सरकारी और निजी अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।सीबीआइ ने शुक्रवार को अमृताभ को उसकेे जोड़ाबागान स्थित घर से अपनी हिरासत में लिया है। हालांकि उसने पूछताछ में कहा कि मृत व्यक्ति और वह दोनों एक नहीं हैं। पिता ने स्वीकार किया कि अमृताभ उसका बेटा है। सीबीआइ अमृताभ की पहचान की पुष्टि के बाद ही उसे गिरफ्तार करेगी।


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