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नवरात्रि में सात अक्टूबर को विधायक पद की शपथ लेना चाहतीं हैं ममता बनर्जी, मंत्री ने राज्यपाल धनखड़ को पत्र दे मांगी अनुमति

भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नवरात्रि के पहले ही दिन सात अक्टूबर को दोपहर 12 बजे विधायक पद की शपथ लेना चाहती हैं। हालांकि राज्यपाल ने अभी तक इसकी अनुमति नहीं दी है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 10:55 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 11:17 PM (IST)
नवरात्रि में सात अक्टूबर को विधायक पद की शपथ लेना चाहतीं हैं ममता बनर्जी, मंत्री ने राज्यपाल धनखड़ को पत्र दे मांगी अनुमति
राज्यपाल ने अभी तक नहीं दी है अनुमति, ममता को इंंतजार

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नवरात्रि के पहले ही दिन सात अक्टूबर को दोपहर 12 बजे विधायक पद की शपथ लेना चाहती हैं। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को पत्र देकर विधानसभा में आकर सीएम सहित तीन विधायकों को शपथ दिलाने का आग्रह किया है।हालांकि राज्यपाल ने अभी तक इसकी अनुमति नहीं दी है।

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संविधान के अनुसार, राज्यपाल को मंत्री और विधायकों को शपथ दिलाने का पहला अधिकार होता है। कोई सदस्य तब तक शपथ नहीं ले सकता जब तक राज्यपाल खुद या विधानसभा अध्यक्ष को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी नहीं सौंप देते। वहीं, राज्यपाल ने ट्वीट कर कहा है कि उपचुनाव के परिणाम के गजट नोटिफिकेशन होने के बाद वह इस मामले पर (मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए) निर्णय लेंगे। इस बीच ममता बनर्जी समेत तीन नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने को लेकर राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) बिमान बनर्जी आमने-सामने आ गए हैं और विवाद पैदा हो गया है।

उसके बाद ही संसदीय कार्य मंत्री ने राज्यपाल को पत्र भेजा है। संविधान के अनुसार, राज्यपाल मंत्रियों और विधायकों को शपथ दिलाते हैं। संवैधानिक प्रावधान में यह भी कहा गया है कि राज्यपाल चाहें तो विधायकों को शपथ दिलाने की शक्ति किसी और को सौंप सकते हैं, जो मूल रूप से विधानसभा अध्यक्ष को दी जाती है। राज्यपाल धनखड़ ने इस साल की शुरुआत में हुए चुनाव के बाद 17वीं बंगाल विधानसभा के सदस्यों को शपथ दिलाने के लिए केवल प्रोटेम स्पीकर सुब्रत मुखर्जी को शपथ दिलाई थी।

प्रोटेम स्पीकर ने ही बाकी सभी विधायकों को विधानसभा में शपथ दिलाई थी और बाद में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ था। इस बीच कुछ दिन पहले राजभवन से विधानसभा सचिवालय को एक पत्र आया था, जिसमें कहा गया था कि वह विधानसभा स्पीकर से शपथ दिलाने का अधिकार वापस ले रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इसका मतलब साफ है इस बार राज्यपाल नए विधायकों को शपथ दिलाएंगे, विधानसभा अध्यक्ष नहीं। उसके बाद विधानसभा सचिवालय ने फिर राजभवन को पत्र भेजकर कहा है कि निरस्त की गई शक्ति विधानसभा अध्यक्ष को वापस कर दी जानी चाहिए। लेकिन विधानसभा को अभी तक उस पत्र का कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। इसके बाद इसको लेकर फिर तकरार बढ़ने के आसार बढ़ गए हैं।


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