मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंदी भाषियों के प्रति जताई सहानुभूति
ममता ने एक बार फिर हिंदी भाषियों को सामने रखकर भाजपा पर हमला बोला है।
कोलकाता, जेएनएन। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समय-समय पर हिंदी भाषियों के प्रति सहानुभूति जताती रही हैं। दुर्गापूजा से लेकर दीपावली और छठ पूजा तक में वह हिंदी भाषियों के प्रति अपना प्रेम दर्शाना नहीं भूलती हैं।
ऐसे खास मौके पर वह दावा करती हैं कि बंगाल में सभी धर्म व जाति के लोग एक साथ मिल कर रहते हैं। लेकिन कभी-कभी कुछ लोग राज्य में गड़बड़ी करने की कोशिश करते हैं। केंद्र में जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राजग की सरकार बनी है तब से ममता राज्य में गड़बड़ी पैदा करने को लेकर भाजपा पर निशाना साधती रही है।
ममता ने एक बार फिर हिंदी भाषियों को सामने रखकर भाजपा पर हमला बोला है। उन्होंने फिर असम में केंद्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से 40 लोगों का नाम हटाने का मुद्दा उठाया और कहा है कि इसमें हिंदी भाषी भी शामिल हैं। हिंदी भाषियों को भी असम छोड़कर जाना पड़ रहा है। अब तो एनआरसी में अपना नहीं देखकर लोग आत्महत्या भी करने लगे हैं। इसके लिए केंद्र की भाजपा नेतृत्व की सरकार जिम्मेदार है।
ममता का कहना है कि असम में एनआरसी में नाम नहीं रहने के कारण कुछ लोगों को राज्य छोड़ने के लिए बाध्य होना और गुजरात से हिंदी भाषियों का पलायन करना दोनों में समानता है। भाजपा शासित दोनों राज्यों में जाति, धर्म और नस्ल के आधार पर लोगों के बीच विभाजन पैदा किया जा रहा है। बंगाल में भी विभाजन की राजनीति करने की कोशिश हो रही है लेकिन वह अपने राज्य में एनआरसी लागू नहीं होने देंगी। बंगाल में भाजपा की दाल नहीं गलेगी।
ममता ने असम की सीमा से सटे उत्तर बंगाल में एक सार्वजनिक सभा के मंच से यह सब बातें कही। जाहिर है उत्तर बंगाल में सिलीगुड़ी से लेकर अन्य कुछ जिलों में हिंदी भाषियों का विश्वास जितने के लिए उन्होंने उनका खास रूप से जिक्र किया।
बंगाल में भाजपा के साथ हिंदी भाषियों के जुड़ते रहने के कारण राज्य में उसका जनाधार बढ़ रहा है। इसलिए ममता ने बंगाल में सभी जाति व धर्म के लोगों के एक मिलकर साथ रहने का हवाला दिया ताकि हिंदी भाषियों में भी उनके प्रति भरोसा बढ़ सके। गुजरात और असम की तरह बंगाल में हिंदी भाषियों की कोई समस्या नहीं होने देने का ममता का दावा करने का उद्देश्य लोगों को भाजपा से सावधान करना है।