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प्रेसिडेंसी की वीसी का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर एक बार फिर धनखड़-ममता में टकराव के आसार

बंगाल सरकार ने राज्यपाल के अनुमति बिना के प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय की उप कुलपति अनुराधा लोहिया का कार्यकाल दो वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। इसे लेकर एक बार फिर राजभवन तथा राज्य सचिवालय के बीच टकराव के आसार दिख रहे हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 05:09 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 05:09 PM (IST)
प्रेसिडेंसी की वीसी का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर एक बार फिर धनखड़-ममता में टकराव के आसार
राजभवन तथा राज्य सचिवालय के बीच टकराव के आसार

राज्य ब्यूरो कोलकाता : बंगाल सरकार ने राज्यपाल के अनुमति बिना के प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय की उप कुलपति अनुराधा लोहिया का कार्यकाल दो वर्षों के लिए बढ़ा दिया है। इसे लेकर एक बार फिर राजभवन तथा राज्य सचिवालय के बीच टकराव के आसार दिख रहे हैं। दरअसल राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के साथ विचार-विमर्श करने के बाद ही प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उपाचार्य का कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब अनुराधा लोहिया 10 जून 2023 तक प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के उपाचार्य का पदभार संभालेंगी।

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हालांकि इस नियुक्ति को लेकर एक बार फिर से राज्य सरकार व राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच मतभेद जाहिर हुए हैं। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में लिखा गया है कि उनके कार्यकाल को बढ़ाने के संबंध में राज्यपाल व विश्वविद्यालयों के आचार्य जगदीप धनखड़ को गत तीन जून को ही प्रस्ताव भेजा गया था। किन्तु उन्होंने उस प्रस्ताव का अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया है।

विज्ञप्ति में आगे लिखा है कि उपाचार्य का पद किसी भी विश्वविद्यालय के सभी अकादमीक व प्रशासनिक पदों में सर्वोच्य होता है। इसलिए इतने महत्वपूर्ण पद को विश्वविद्यालय, उसके विद्यार्थियों व अधिकारियों के भले के लिए रिक्त रखने का कोई औचित्य नहीं बनता है। प्रेसिडेंसी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वह वर्ष 2014 से विश्वविद्यालय की उपाचार्य का कार्यभार संभाल रही हैं।

उच्च शिक्षा विभाग का दावा है कि वर्तमान स्थिति में विश्वविद्यालय के लिए उप कुलपति के बिना कार्य करना संभव नहीं है। इसलिए अनुराधा लोहिया का कार्यकाल दो साल और बढ़ाने का फैसला किया गया। इससे पहले अनुराधा लोहिया का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था।

गौरतलब है कि तीन साल पहले छात्र संगठन इंडिपेंडेंट कंसॉलिडेशन ने अनुराधा लोहिया का कार्यकाल बढ़ाने पर आपत्ति जताई थी। उसने कहा था कि एक के बाद एक शिक्षक अध्यक्ष पद छोड़ चुके हैं। अलग-अलग सेक्शन में सीटें खाली हैं। यूनिवर्सिटी से माइक्रोस्कोप की चोरी हो रही है। इसलिए वे उन्हें उप कुलपति के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते हैं।


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