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केंद्र ने लौटाया पश्चिम बंगाल का नाम बदलने का प्रस्ताव, ममता नाराज

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि राज्य में कोई ताकत न रखने वाला दल क्या राज्य के नाम का फैसला करेगा।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 09:44 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 07:54 AM (IST)
केंद्र ने लौटाया पश्चिम बंगाल का नाम बदलने का प्रस्ताव, ममता नाराज
केंद्र ने लौटाया पश्चिम बंगाल का नाम बदलने का प्रस्ताव, ममता नाराज

कोलकाता, जागरण संवाददाता। केंद्र ने पश्चिम बंगाल सरकार के राज्य का नाम बदलने (बांग्ला करने) के प्रस्ताव को लौटा दिया है। विदेश मंत्रालय ने पड़ोसी देश बांग्लादेश से मिलते-जुलते नाम का हवाला देते हुए राज्य सरकार के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। वहीं इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि राज्य में कोई ताकत न रखने वाला दल क्या राज्य के नाम का फैसला करेगा।

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ममता ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'मैंने देखा है कि भाजपा प्राय: अपनी सुविधा और राजनीतिक हितों के मद्देनजर ऐतिहासिक स्थानों और संस्थानों का नाम मनमाने तरीके से बदल रही है।' उन्होंने टिप्पणी की कि आजादी के बाद कुछ राज्यों और शहरों के नाम जैसे उड़ीसा से ओडिशा, पांडिचेरी से पुडुचेरी, मद्रास से चेन्नई, बांबे से मुंबई, बंगलोर से बेंगुलरु आदि राज्य की भावनाओं और स्थानीय भाषा को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। नामों में इस तरह के बदलाव जायज हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल के संदर्भ में रवैया एकदम विपरीत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल की विधानसभा ने स्थानीय लोगों की भावना का ख्याल रखा और इस बात पर आम सहमति बनी कि अंग्रेजी में पश्चिम बंगाल का नाम बंगाल होगा, बंगाली में बांग्ला और हिंदी में बंगाल होगा। नाम में बदलाव के प्रस्ताव को गृह मंत्रालय को भेजा गया। केंद्र सरकार ने सुझाव दिया कि तीनों भाषाओं में नाम बांग्ला ही होना चाहिए।
 

तीन बार भेजा गया है नाम बदलने का प्रस्ताव
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार केंद्र को अब तक 2011, 2016 और 2018 में तीन बार नाम बदलने का प्रस्ताव भेज चुकी है। पहले प्रस्ताव को संप्रग-2 सरकार के समय खारिज किया गया था जब राज्य सरकार ने नाम बदलकर पश्चिमबंग रखने का प्रस्ताव दिया था। सूत्रों का दावा है कि उस वक्त प्रस्ताव नहीं मानने के पीछे कोई वजह नहीं बताई गई थी। इसके बाद 2016 में राज्य सरकार की ओर से वर्तमान राजग सरकार को प्रस्ताव भेजा गया, तब सरकार ने तीन अलग-अलग नामों में जटिलता का हवाला देते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी के अनुसार, उस वक्त राजग सरकार ने खुद ही बांग्ला नाम का सुझाव दिया था जिसे राज्य ने स्वीकार भी कर लिया था। इसके फलस्वरूप राज्य कैबिनेट ने सितंबर, 2017 में बांग्ला नाम को मंजूरी दे दी थी और फिर इस साल जुलाई में विधानसभा में भी (भाजपा ने विरोध किया था) नाम बदलने का प्रस्ताव पारित हो गया था।

प्रदेश भाजपा ने प्रस्ताव वापसी का किया स्वागत
भाजपा की राज्य इकाई ने केंद्र के इस कदम का स्वागत किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि बांग्ला नाम ने विभाजन का नामोनिशां मिटा दिया। पश्चिमबंग नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कार्य और मूल्यों का अभिन्न अंग है। हमने इसी नाम की मांग की थी। 2011, 2016 और 2018 में हमने राज्य विधानसभा में भी यही दोहराया था।


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