Move to Jagran APP

कोलकाता में बच्चों में बढ़ रहे हैं एमआइएस-सी के मामले, जानें इसके लक्षण और इलाज

आंकड़ों के अनुसार प्रति लाख आबादी में 2.1 मामले एमआइएस-सी के सामने आ रहेहैं। इस मामले में मृत्यु दर 100 में एक होती है। दुनिया के साथ-साथ कोलकाता में भी बच्चों में ये मामले बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। कोलकाता में हर महीने सैकड़ों बच्चे इससे ग्रसित हो रहे।

By Priti JhaEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 08:46 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 08:46 AM (IST)
कोलकाता में बच्चों में बढ़ रहे हैं एमआइएस-सी के मामले, जानें इसके लक्षण और इलाज
कोलकाता में बच्चों में बढ़ रहे हैं एमआइएस-सी के मामले,

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोरोना के बाद बच्चों में एक तरह के खतरनाक लक्षण देखने को मिल रहे हैं जिसे मल्टी सिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम यानी एमआइएस-सी कहा जाता है। विश्व भर में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, प्रति लाख आबादी में 2.1 मामले एमआइएस-सी के सामने आ रहे हैं। इस मामले में मृत्यु दर 100 में एक होती है। दुनिया के साथ-साथ कोलकाता में भी बच्चों में ये मामले बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। कोलकाता में हर महीने सैकड़ों बच्चे इससे ग्रसित हो रहे हैं।

loksabha election banner

कमांड अस्पताल में तीन वर्षीया बच्ची का हुआ इलाज

कोलकाता के कमांड अस्पताल में तीन वर्षीया बच्ची एमआइएस-सी से ग्रसित थी। बच्ची का नाम श्वेता है जो कमांड अस्पताल के पीआइसीयू में भर्ती थी। गत 21 मई को उसे बुखार के साथ रैशेस और कमजाेरी होने लगी थी। श्वेता का इलाज पेडियाट्रिक मेडिकल के सीनियर डॉक्टरों की ओर से किया जा रहा था। एमआइएस-सी से ग्रसित होने की बात पता चलने के बाद उसे कई तरह की दवाइयां दी गईं। गत दिनों उसे अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। अस्पताल के पेडियाट्रिक के एचओडी कर्नल सुवेंदु राय ने कहा कि इस बीमारी का जल्दी पता चलना काफी जरूरी है क्योंकि फिर उसी के अनुसार जल्द इलाज चालू करना भी आवश्यक हाेता है।

यह है लक्षण

एमआइएस-सी के लक्षणों में तीन से पांच दिनों तक बुखार, आंखों में जलन, स्किन रैश और लूज मोशन होते हैं। गंभीर स्थिति में सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है, ऑक्सीजन स्तर घट जाता है, लो ब्लड प्रेशर, शरीर का रंग नीला पड़ना और सीने में दर्द भी इसके गंभीर लक्षण हैं।

ऐसे होता है इलाज

इस बीमारी का पता चलने के बाद तुरंत ब्लड टेस्ट कराया जाना चाहिये ताकि इसकी गंभीरता का पता चल सके। बचपन की अन्य बीमारियों का भी इसमें ध्यान रखना जरूरी है ताकि उसी अनुसार इलाज हो सके। गंभीर स्थिति में इंटेंस इम्यूनोथेरेपी (इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलीन एंड हाई डोज कोर्टिकोस्टेरॉयड) के साथ पीआइसीयू में बच्चे का इलाज होता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.