कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले ने 40 साल बाद एक नेपाली नागरिक को दी नई जिंदगी, जेल से रिहा हुआ कैदी
कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले ने 40 साल बाद एक नेपाली नागरिक को नई जिंदगी दी है। नेपाली नागरिक को 40 साल पहले एक हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से उसे विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में रखा गया था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले ने 40 साल बाद एक नेपाली नागरिक को नई जिंदगी दी है। नेपाली नागरिक को 40 साल पहले एक हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से उसे विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में रखा गया था। इस मामले को कोर्ट ने संज्ञान में लिया था। बुधवार को कोर्ट ने कैदी की रिहाई के आदेश दिए। दीपक जयशी कोलकाता के दमदम केंद्रीय सुधार गृह में पिछले 40 सालों से बंद है। उसे 1981 में दार्जिलिंग में एक व्यक्ति की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दीपक की उम्र उस समय 30 साल थी। अब वह 70 साल का हो चुका है।
खास बात थी कि इन सालों में उसके रिश्तेदारों, मित्रों आदि किसी को पता ही नहीं था कि वह कहां पर है। उसके बारे में जानकारी तब सामने आई जब हैम रेडियो को उसी सुधार गृह से निकले एक व्यक्ति से उसके बारे में जानकारी मिली। इसके बाद हैम रेडियो ने जयशी के बारे में पता लगाया। जब जयशी के रिश्तेदारों को पता चला कि वह बंगाल की जेल में बंद है तो उन्होंने नेपाल सरकार से संपर्क किया।
चीफ जस्टिस ने मामले का संज्ञान लिया
-खबर बाहर आने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मामले का संज्ञान लिया और हैम रैडियो के वकील हीरक सिन्हा से कोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा। इस साल की शुरुआत में ही हाईकोर्ट में हैम रेडियो की ओर से जयशी की रिहाई और उसें नेपाल भेजे जाने को लेकर याचिका दाखिल की गई थी। राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के वकील जयंत नारायण चटर्जी ने कहा कि जयशी ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है और उसे अपने नेपाल में अपने मूल स्थान के बारे में कुछ भी याद नहीं है।
कोर्ट ने चचेरे भाई को जिम्मेदारी सौंपी
-जयशी की स्थिति को जानने के बाद मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध रॉय की खंडपीठ ने जयशी को रिहा करने का आदेश दिया और उसके चचेरे भाई प्रकाश चंद्र शर्मा तमसीना को दीपक जयशी की जिम्मेदारी सौंपी है। जानकारी सामने आने के बाद प्रकाश इस मामले में एक पक्षकार थे। पीठ ने तमसीना को जयशी को लेकर जाने के लिए एक साधारण बांड अदालत के सामने पेश करने को कहा।
अदालत ने निर्देश दिया कि इस बांड को कोलकाता में नेपाल के महावाणिज्य दूतावास के कार्यालय सचिव सतीश थापा द्वारा सत्यापित होना जाना चाहिए। पीठ ने बांड जमा करने के एक दिन के भीतर दमदम सुधार गृह को दीपक को रिहा करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोलकाता में नेपाल के महावाणिज्य दूतावास की जानकारी में जयशी को नेपाल भेजना सुनिश्चित किया जाए।