कलकत्ता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कोरोना से मारे गए लोगों के शवों को परिवार को सौंपने का निर्देश
बड़ा फैसला - कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए हाईकोर्ट ने बनाई गाइडलाइन। कोर्ट ने कहा पार्थिव शरीर पर परिजनों का अधिकार इससे वंचित नहीं किया जा सकता।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोरोना वायरस की वजह से मारे जा रहे लोगों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए शवों को अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंपने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन व न्यायाधीश अरिजीत बंद्योपाध्याय की डिवीजन बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति की भले ही कोरोना की वजह से ही मृत्यु हुई हो, लेकिन उसके पार्थिव शरीर पर परिजनों का अधिकार है। परिजनों को इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।
परिवार को हर प्रकार की प्रक्रिया करने की अनुमति देनी होगी
हाई कोर्ट ने इसको लेकर नई गाइडलाइन तय करते हुए कहा कि अंतिम संस्कार के पहले परिवार को हर प्रकार की प्रक्रिया करने की अनुमति देनी होगी। कोर्ट ने जून 2020 में राज्य सरकार द्वारा कोरोना मृतकों के अंतिम संस्कार के संबंध में जारी किए गए दिशानिर्देश में संशोधन करते हुए साफ कहा कि अगर कोरोना की वजह से किसी व्यक्ति की मौत हुई है और उसका पोस्टमार्टम नहीं हुआ है तो अस्पताल प्रबंधन सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पार्थिव शरीर को परिजनों को सौंप दें।
जो सदस्य पार्थिव शरीर लेंगे, पीपीई किट, ग्लब्स, मास्क अनिवार्य
परिवार से जो भी सदस्य पार्थिव शरीर को लेंगे, उनके लिए पीपीई किट, ग्लब्स, मास्क पहनना अनिवार्य होगा। साथ ही पार्थिव शरीर को सैनिटाइजेशन प्रक्रिया को मानते हुए रिसीव करना होगा। हालांकि कोर्ट ने यह भी साफ कहा परिजन शव को अपने घर पर नहीं ले जा सकते हैं और अस्पताल से सीधे उन्हें अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट या कब्रिस्तान ले जाना होगा।
गौरतलब है कि इससे पहले कोरोना मृतकों के शवों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया संबंधित नगर निगम, नगरपालिका, स्थानीय निकाय व पुलिस के द्वारा किया जाता है।
नई गाइडलाइन के अनुसार इन बातों का भी करना होगा पूरा पालन
हाई कोर्ट ने नई गाइडलाइन में यह भी कहा कि पार्थिव शरीर को चेन लगे प्लास्टिक के बैग में रखना होगा और चेहरे के पास प्लास्टिक पारदर्शी होना चाहिए, जिससे लोग अपने परिजनों का अंतिम दर्शन कर सकें।
स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी के पास होगा चेहरा दिखाने का जिम्मा
अगर कहीं परिजन प्लास्टिक हटाने की मांग करते हैं तो चेहरे के पास चेन खोल कर दिखाने का जिम्मा सिर्फ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी के पास होगा। परिवार के लोग उसे हाथ नहीं लगा सकते। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकार चाहे तो इस सुझाव के साथ अपने निर्देशों को भी जोड़ सकती है।
समाजसेवी विनित रुइया ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी
गौरतलब है कि समाजसेवी विनित रुइया ने कोरोना के कारण मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार सम्मान के साथ किये जाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि मृतकों का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा।
इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से कोविड-19 के संक्रमण की वजह से मारे गये लोगों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी मांगी थी। राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पेश करने के बाद कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए नई गाइडलाइन जारी की।