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West Bengal: शादी का झांसा देकर संभोग, दुष्कर्म के दोषी की सजा को कलकत्ता हाई कोर्ट ने किया निरस्त

West Bengal हाई कोर्ट ने कहा कि युवक और युवती की रजामंदी से संभोग हुआ। दोनों शादी के लिए राजी भी हो गए लेकिन युवती के गर्भवती होने के बाद घरवालों ने शादी का विरोध किया। इसलिए आरोपित अपना वादा नहीं निभा सका।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 10 Dec 2021 09:05 PM (IST)Updated: Fri, 10 Dec 2021 09:05 PM (IST)
West Bengal: शादी का झांसा देकर संभोग, दुष्कर्म के दोषी की सजा को कलकत्ता हाई कोर्ट ने किया निरस्त
शादी का झांसा देकर संभोग, दुष्कर्म के दोषी की सजा को कलकत्ता हाई कोर्ट ने किया निरस्त। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। शादी का झांसा देकर संभोग किए जाने के मामले में दुष्कर्म के दोषी के 10 वर्ष के कारादंड के फैसले को कलकत्ता हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर की निचली अदालत ने आरोपित को दुष्कर्म के लिए दोषी ठहराया था। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि दोनों की रजामंदी से संभोग हुआ। दोनों शादी के लिए राजी भी हो गए, लेकिन युवती के गर्भवती होने के बाद घरवालों ने शादी का विरोध किया। इसलिए आरोपित अपना वादा नहीं निभा सका। इसका मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्तिगत रूप से शादी नहीं करना चाहता था। बंगाल के उत्तर दिनाजपुर के इस्लामपुर के रहने वाले सद्दाम हुसैन ने शादी का झांसा देकर एक युवती से शारीरिक संबंध बना लिए थे।

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बाद में जब युवती गर्भवती हो गई तो सद्दाम ने उससे शादी करने से इन्कार कर दिया। इसके बाद युवती ने थाने में इस संबंध में सद्दाम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जांच के बाद इस संबंध में सद्दाम के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया था। 2015 में इस्लामपुर के अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय ने सद्दाम हुसैन को दोषी ठहरा दिया था। न्यायाधीश ने उसे 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी। साथ में 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद सद्दाम ने निचली अदालत के फैसले को कलकत्ता उच्च न्यायालय में चुनौती दी। लंबी सुनवाई के बाद गुरुवार को हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया। खंडपीठ के मुताबिक घटना के वक्त शिकायतकर्ता संभोग के लिए सहमति की उम्र तक पहुंच चुकी थी। दोनों की रजामंदी से संभोग हुआ। दोनों शादी के लिए राजी भी हो गए, लेकिन युवती के गर्भवती होने के बाद घरवालों ने शादी का विरोध किया। इसलिए सद्दाम अपना वादा नहीं निभा सका। इसका मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्तिगत रूप से शादी नहीं करना चाहता था। 


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