कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- सिर्फ दो-चार लाइनों में निर्देश देना काफी नहीं, उसकी व्याख्या करें
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा अदालत की जिलाधिकारियों व एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को हिदायत सिर्फ दो-चार लाइनों में निर्देश देना काफी नहीं है उसकी ठीक तरीके से व्याख्या भी करनी होगी जलपाईगुड़ी में भूमि विवाद से संबंधित मामले पर हाईकोर्ट ने दिया यह निर्देश
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। सिर्फ दो-चार लाइनों में निर्देश देना काफी नहीं है, उसकी ठीक तरीके से व्याख्या भी करनी होगी। कलकत्ता हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच ने जिलाधिकारियों व उनके अधीनस्थ एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की हिदायत देते हुए यह निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा है कि आपराधिक घटनाओं पर लगाम कसने और शांति की रक्षा के लिए जिलाधिकारी व एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट जरूरी निर्देश दे सकते हैं लेकिन सिर्फ एक दो-लाइनों में निर्देश देना काफी नहीं है। उस निर्देश की व्याख्या करनी होगी ताकि लोगों की स्पष्ट रूप से समझ में आए कि दरअसल क्या कहा गया है।
हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी सॢकट बेंच ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है, जिसकी प्रति सभी जिलाधिकारियों को भेजी जा रही है। जलपाईगुड़ी में भूमि विवाद में संबंधित एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने शांति बरकरार रखने का निर्देश दिया था। उस निर्देश को एक पक्ष ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि उनकी बातों को सुने बिना ही निर्देश दे दिया गया। ऐसा निर्देश क्यों दिया गया, इसकी भी व्याख्या नहीं की गई है।
न्यायाधीश मोहम्मद निजामुद्दीन ने कहा कि कोई भी निर्देश या फैसला सुनाते वक्त उसकी उचित तरीके से व्याख्या करनी जरुरी है ताकि उसे लेकर किसी के मन में किसी तरह का संशय न रह जाए। अधिवक्ताओं के एक वर्ग का कहना है कि बहुत समय धारा 144 लागू करने के मामले में भी जिलाधिकारी एकतरफा निर्देश दे देते हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इसे लेकर निर्देश जारी किया गया है।