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कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- युवती अगर खुद शादी और धर्म परिवर्तन करे तो दखलंदाजी की जरूरत नहीं

पिछले माह उत्तर प्रदेश सरकार ने जबरन मतांतरण की घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाया है। इसके तहत विवाह के लिए छल कपट प्रलोभन या बलपूर्वक मतांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 06:16 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 06:16 PM (IST)
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा- युवती अगर खुद शादी और धर्म परिवर्तन करे तो दखलंदाजी की जरूरत नहीं
शादी कर मत परिवर्तन के मामले में हाईकोर्ट ने कहा, आज युवक-युवती दोनों देंगे न्यायाधीश के समक्ष बयान।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो।  कलकत्ता हाईकोर्ट ने शादी और धर्म परिवर्तन को लेकर मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर कोई बालिग युवती अपनी पसंद से शादी और धर्म परिवर्तन का फैसला करती है। इसके बाद वह अपने पिता के घर में नहीं आती है तो इसमें दखलंदाजी नहीं की जा सकती।

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हाईकोर्ट ने यह बात सोमवार को शादी व धर्म परिवर्तन के मामले की सुनवाई के दौरान कही। हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी की पीठ ने एक पिता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में पिता का कहना है कि उनकी बेटी 15 सितंबर 2020 से लापता है और उसने शादी करने के बाद धर्म परिवर्तन कर लिया है।

सात दिसंबर 2020 को नदिया जिले के मुरुतिया थाने में एक रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। इसमें पिता ने कहा कि उनकी बेटी 19 साल की है जिसने भाग कर असमूल शेख नामक एक शख्स से शादी कर ली है। प्रतिवादी पक्ष की ओर से कोर्ट में उनकी बेटी पल्लवी सरकार का एक बयान भी दिखाया गया। 16 सितंबर 2020 को दर्ज किए गए इस बयान में उनकी बेटी ने कहा कि असमूल के साथ उनके रिश्ते थे और वह खुद अपनी मर्जी से उनके साथ रह रही है।

पल्लवी के पिता ने हाईकोर्ट में कहा कि जिस दिन उनकी बेटी का बयान दर्ज किया गया था, उस दिन उन्हें उनसे मिलने की इजाजत नहीं दी गई। उनकी बेटी ने अपना नाम बदल कर आयशा खातून रख लिया है। अब हाईकोर्ट ने कहा कि लड़का और लड़की दोनों 23 दिसंबर को न्यायाधीश के समक्ष बयान दें। जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या वाकई लड़की दबाव में बयान दे रही है। पीठ ने कहा है कि जब वे एक साथ आएंगे तो उनके कक्ष में कोई और नहीं होगा।

छल और बल से मतांरण रोकने यूपी में बना है कानून

बता दें कि पिछले माह उत्तर प्रदेश सरकार ने जबरन मतांतरण की घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाया है। इसके तहत विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक मतांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान है। इस कानून के तहत ऐसे मतांतरण को अपराध की श्रेणी में लाया गया है जो छल, कपट, प्रलोभन, बलपूर्वक या गलत तरीके से प्रभाव डालकर विवाह या किसी कपट से एक धर्म से दूसरे धर्म में लाने के लिए किया गया कार्य हो।


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