Bengal News: बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने लगाया 10 हजार का जुर्माना
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व मौजूदा बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। सौरव के साथ बंगाल सरकार और हिडको पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व मौजूदा बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। सौरव के साथ बंगाल सरकार और हिडको पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। मामला गलत तरह से जमीन आवंटन का है। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायाधीश अरिजित बनर्जी की खंडपीठ ने इस बाबत दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जमीन आवंटन के मामलों में निश्चित नीति होनी चाहिए ताकि सरकार ऐसे मामलों में हस्तक्षेप न कर सके।
गौरतलब है कि सौरव को क्रिकेट अकादमी खोलने के लिए बंगाल सरकार के आवास निगम हिडको ने साल्टलेक के सीए ब्लाक में जमीन आवंटित की थी. हालांकि इसे लेकर हुए विवाद के बाद सौरव ने जमीन लौटा दी थी लेकिन इस बीच उस जमीन को लेकर कानूनी पेचीदगियां पैदा हो गईं। आरोप लगाया गया कि जमीन के लिए टेंडर आमंत्रित नहीं किया गया था। जमीन बिना टेंडर के ही सौरव को दे दी गई थी।
साल्टलेक ह्यूमिनिटी’ नामक स्वयंसेवी संस्था ने राज्य सरकार के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। उस मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह जुर्माना लगाया। 2011 में सौरव की शिक्षण संस्था को बंगाल सरकार ने कोलकाता के न्यू टाउन एरिया में नियमों के विपरीत जाकर जमीन दी थी। जनहित याचिका में सौरव और गांगुली एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी को स्कूल के लिए आवंटित 2.5 एकड़ जमीन पर सवाल खड़ा किया गया था। अदालत ने कहा कि देश हमेशा खिलाड़ियों के लिए खड़ा होता है. खासकर जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह सच है कि सौरव गांगुली ने क्रिकेट में देश का नाम रोशन किया है लेकिन जब बात कानून और नियमों की आती है तो संविधान में सब समान हैं। कोई उससे ऊपर होने का दावा नहीं कर सकता।
2016 में जमीन आवंटन को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी। मामला सबसे पहले हाई कोर्ट में आया था। सौरव ने तब कानूनी परेशानी से बचने के लिए जमीन वापस करने का फैसला किया और उसे लौटा भी दिया था। फिर दूसरी जमान देने का प्रस्ताव दिया गया था। उसके खिलाफ फिर से हाई कोर्ट में केस दर्ज कराया गया था। दावा किया गया कि इस मामले में भी सौरव को बिना टेंडर और कम कीमत पर जमीन दी गई थी।