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Calcutta हाईकोर्ट का फरमान, सांवली होने पर पत्नी को ताना दिया तो 498ए के तहत होगी कार्रवाई

अगर किसी पत्नी को प्रताड़ित किया जाता है या उसका अपमान किया जाता है क्योंकि उसकी त्वचा का रंग सांवला है तो इसे दंडनीय अपराध माना जाएगा।

By Vijay KumarEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 09:24 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 09:24 PM (IST)
Calcutta हाईकोर्ट का फरमान, सांवली होने पर पत्नी को ताना दिया तो 498ए के तहत होगी कार्रवाई
Calcutta हाईकोर्ट का फरमान, सांवली होने पर पत्नी को ताना दिया तो 498ए के तहत होगी कार्रवाई

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: अगर किसी पत्नी को प्रताड़ित किया जाता है या उसका अपमान किया जाता है क्योंकि उसकी त्वचा का रंग सांवला है, तो इसे दंडनीय अपराध माना जाएगा। भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक मामले पर फैसले सुनाने के दौरान यह बातें कही। अदालत ने 1998 में कूचबिहार में सांवला रंग होने को लेकर सात माह की दुल्हन की हुई मौत के मामले में फैसले के दौरान अदालत ने यह बात कही।

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न्यायाधीश शहीदुल्ला मुंशी और शुभाशीष दासगुप्ता की पीठ ने कहा कि अगर ससुराल वाले सांवली होने पर दुल्हन के प्रति क्रूरता दिखाते हैं तो उन लोगों के खिलाफ 498ए के तहत कार्रवाई की जाए। कूचबिहार में हुई घटना को लेकर सरकारी अधिवक्ता अरूण कुमार माइती ने पीठ से कहा कि 1997 के अक्टूबर में शादी होने के महज तीन दिन बाद ही सांवली होने की वजह से दुल्हन को पशुओं के बांधे जाने वाले घर में रहने को मजबूर कर दिया गया। उधर दोषी के वकील अरिन्दम जाना ने कहा कि अगर शादी के बाद के दिन से किसी लड़की का उसके पति और ससुराल वालों द्वारा बदसूरत या फिर सांवली होने अपमानित किया जाता है, तो उसके जीवन के सारे सपने एक पल में ही नष्ट हो जाते हैं। इस कारण से दुल्हन को प्रताड़ित करने से बड़ा कोई दुख नहीं हो सकता है। यह क्रूरता है। राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन लीना गंगोपाध्याय के अनुसार फैसला उन लड़कियों को प्रेरित करेगा जो मुंह नहीं खोल सकतीं, क्योंकि वे काली हैं और मौन होकर यातना सहती हैं।

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हाईकोर्ट ने सांवली पत्नी की हत्या के दोषी पति की उम्र कैद की सजा को रखा बरकरार

कोलकाताः हाईकोर्ट सांवला रंग होने को लेकर अपनी पत्नी की हत्या करने वाले व्यक्ति की दोषसिद्धि और उम्र कैद की सजा को बरकरार रखने का आदेश जारी किया है। महिला का शव 1998 में कूचबिहार जिला स्थित उसके ससुराल में फंदे से लटका पाए जाने के करीब सात माह पहले मजीदुल मियां (दोषी) से उसकी शादी हुई थी। अदालत ने इस बात का उल्लेख किया कि महिला के गरीब पिता ने 11,000 रुपये नकद, चांदी के गहने, एक साइकिल और अन्य कीमती सामान 16 अक्टूबर 1997 में शादी के दौरान दोषी को दिये थे।

न्यायमूर्ति सहीदुल्ला मुंशी और न्यायमूर्ति सुभाशीष दासगुप्ता ने यह उल्लेख किया कि जब महिला शादी के बाद अपने ससुराल आई तब उसके सांवले रंग के कारण उससे उसके पति सहित सास-ससुर ने निर्ममता बरती, उसे यातना दी और उसके साथ दुर्व्यवहार किया। महिला ने अपने पति द्वारा पिटाई किये जाने की घटना से भी कई बार मायके जाने पर अपने माता पिता को अवगत कराया। पीठ ने कहा कि लेकिन उसके पिता ने अपनी खराब आर्थिक स्थिति के कारण उसे ससुराल जाने के लिये मनाया। दोषी की अपील को खारिज करते हुए खंडपीठ ने 25 जून को जारी आदेश में मजीदुल मियां की सत्र अदालत द्वारा दोषसिद्धि और उसे दी गई उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा। उसे यह सजा अपनी पत्नी की हत्या करने और उसे प्रताड़ित करने को लेकर भारतीय दंड संहिता की संबद्ध धाराओं के तहत सुनाई गई थी। पीठ ने महिला को प्रताड़ित करने के आरोपों में उसकी सास की दोषसिद्धि को भी बरकरार रखा, लेकिन उसे हत्या के आरोप से उसे बरी कर दिया।


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