West Bengal: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बंगाल सरकार से पूछा, क्या बुनियादी ढांचे के विकास में भी कट-मनी रैकेट है?
कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति हरीश टंडन की की खंडपीठ ने राज्य में सरकारी सहायता प्राप्त महिला एवं बाल देखभाल गृह के बुनियादी ढांचे के विकास पर किए गए भारी भरकम खर्च को लेकर चिंता व्यक्त की है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति हरीश टंडन की की खंडपीठ ने राज्य में सरकारी सहायता प्राप्त महिला एवं बाल देखभाल गृह के बुनियादी ढांचे के विकास पर किए गए भारी भरकम खर्च को लेकर चिंता व्यक्त की है। अदालत को इस बात पर भी संदेह हुआ कि क्या पूरी प्रक्रिया में कट-मनी रैकेट की कोई संलिप्तता है।
पीठ गुरुवार को एक स्वत: संज्ञान मामले पर सुनवाई कर रही थी, जहां राज्य के स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें दिखाया गया था कि राज्य में एक महिला एवं बाल देखभाल गृह के भूतल के बुनियादी ढांचे के विकास पर 3.41 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए सेन ने कहा कि यदि भूतल के विकास के लिए 3.41 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, तो ऐसा क्यों है। क्या कोई कट-मनी रैकेट सक्रिय है?अदालत ने तब राज्य सरकार से राज्य में ऐसे सभी गृहों की स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
कोर्ट ने सरकार को सभी कैदियों के लिए कोविड टीकाकरण की व्यवस्था करने के लिए भी कहा
-उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को राज्य के सभी 71 महिला एवं बाल देखभाल गृहों के कैदियों के लिए आयु के अनुसार, कोविड टीकाकरण की व्यवस्था करने के लिए भी कहा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक स्वत: संज्ञान मामला शुरू किया था, जहां राज्य के स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल कल्याण विभाग को सभी गृहों की स्थिति का विवरण देते हुए अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। राज्य सरकार ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
रिपोर्ट के मुताबिक अनेक कैदी कोविड से संक्रमित हो चुके हैं। इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार से कैदियों के टीकाकरण की तत्काल व्यवस्था करने को कहा। टीकाकरण की रिपोर्ट अगली सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी। राज्य सरकार को निविदा प्रक्रिया, वित्तीय विवरण और राज्य के सभी गृहों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी।