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West Bengal :कुर्बानी ईद से पहले बांग्लादेश में मवेशियों की भारी मांग, तस्करी रोकने को बीएसएफ ने कसी कमर

कुर्बानी ईद से पहले बांग्लादेश में मवेशियों की भारी मांग तस्करी रोकने को बीएसएफ ने कसी कमर भारत में 50 हजार का भैंसा पड़ोसी देश में बिकता है डेढ़ लाख रुपये में

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 08:46 AM (IST)
West Bengal :कुर्बानी ईद से पहले बांग्लादेश में मवेशियों की भारी मांग, तस्करी रोकने को बीएसएफ ने कसी कमर
West Bengal :कुर्बानी ईद से पहले बांग्लादेश में मवेशियों की भारी मांग, तस्करी रोकने को बीएसएफ ने कसी कमर

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। हर वर्ष ईद-उल-अजहा यानी कुर्बानी ईद से पहले बंगाल में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मवेशियों की तस्करी की घटनाएं बढ़ जाती है। इस वर्ष कुर्बानी ईद 31 जुलाई को बांग्लादेश में मनाई जाएगी। ऐसे में इस वक्त बांग्लादेश में कुर्बानी के लिए मवेशियों की भारी मांग है तथा कीमत भी पहले से ज्यादा है।

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दूसरा, इस समय बरसात का समय है तथा बॉर्डर पर बहने वाली नदियों में जल स्तर भी बढ़ गया है। ऐसे में इस मौके का पशु तस्कर फायदा उठाना चाहते हैं। इसको देखते हुए‌ बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने पशु तस्करी रोकने को कमर कस ली है और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपनी निगरानी को और बढ़ा दिया है। अधिकारियों ने बताया कि रात्रि कैमरो, ट्रैक्टरों, स्पीड बोटों व अन्य उपकरणों की तैनाती बढ़ा दी है। बॉर्डर के जिस हिस्से में उपयुक्त फेंसिंग नहीं है वहां पर अस्थाई फेंसिंग/ रुकावटें लगाई गई हैं। जिन स्थानों से जबरदस्ती बड़ी मात्रा में पशु तस्करी करने के प्रयास होते हैं वहां पर ट्रेंच खुदवा दी है। यानी जो भी एहतियाती उपाय है वह सब किए गए हैं।

बीएसएफ ने स्थानीय पुलिस के साथ संयुक्त ऑपरेशन करने हेतु व्यवस्था भी कर रखी है। जिन-जिन सीमा चौकियों के नजदीक से नदियों के बीचों-बीच बहाकर पशुओं की तस्करी की जाती है, उस नदी के घाटों पर 8 से 10 किलोमीटर ऊपर तक दोनों तरफ अस्थाई कैंप बना दिए हैं जिसमें सीमा प्रहरियों को पहले से ही तैनात किया जा चुका है। कुल मिलाकर पशु तस्करी रोकने की पूरी व्यवस्था की है।

दरअसल, पशु तस्करी का धंधा बंगाल में कई वर्षों से पनपता रहा है क्योंकि इसके तार बड़े-बड़े लोगों से जुड़े रहे हैं। लेकिन पिछले वर्ष से दक्षिण बंगाल फ्रंटियर-कोलकाता ने पशु तस्करी पर लगभग अंकुश लगा रखा है। निरीह पशुओं की तस्करी के लिए तस्कर तमाम तरह के क्रूर व निर्दयी हथकंडे अपनाते हैं और इस काम में बाधा देने पर कई बार बीएसएफ जवानों पर भी जानलेवा हमला करते हैं।

आईजी ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश

इधर, दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के नए महानिरीक्षक अश्वनी कुमार सिंह ने जवानों को इस बार स्पष्ट निर्देश दे दिए हैं कि उन्हें सीमा सुरक्षा बल के जवान की ऐसी कोई दुर्घटना मंजूर नहीं है जिसमें उसकी जान चली जाए या गंभीर चोट लग जाए। बॉर्डर पर ट्रांस-बॉर्डर अपराधों को हर हाल में रोका जाएगा और यदि अपराधी कानून को हाथ में लेते हैं तो उनके साथ कानून के अंतर्गत सख्त कार्यवाही की जाए। जहां जवानों को अपनी जान सलामती के लिए फायर करना आवश्यक होगा, वहां पर उपयुक्त तथा कारगर फायर किया जाएगा। नॉन-लीथल हथियारों का इस्तेमाल जरूरत के मुताबिक किया जाएगा।

बांग्लादेश में एक मवेशी पर मिलते हैं 3 गुने दाम, 50 हजार का भैंसा डेढ़ लाख में

बीएसएफ को विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि बांग्लादेश में बॉर्डर के इलाक़े में 'कैटल हाट' को लाइसेंस देने की प्रक्रिया जल्द पूर्ण होने वाली है। इन 'कैटल हाट' में अधिकतर पशु जो भारत से तस्करी करके लाए जाते हैं, उनका व्यापार होता है। इस वर्ष बांग्लादेश में पशुओं की कीमत काफी बढ़ गई है। बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समय एक बड़े साइज का भैंसा जो भारत में 50,000 रुपये में उपलब्ध है उसकी कीमत बांग्लादेश मे लगभग 1,50,000 रुपये है तथा एक बड़े साइज के बैल की कीमत 80,000 रुपये के लगभग है। पशु तस्कर जो इस नापाक तथा अवैध धंधे में संलिप्त है वो कई सौ करोड़ के मालिक है तथा काले धन के कारण गरीब, अनपढ़ तथा बेरोजगार युवकों को कुछ हजार रुपये का लालच देकर उनकी जान को दांव पर लगा देते हैं। बॉर्डर पर जितनी सख्ती होगी, इन युवकों को जिन्हें स्थानीय भाषा में ' रखाल ' बोला जाता है, उनको उतना अधिक पैसा दिया जाता है। जैसे उदाहरण के तौर पर एक पशु (भैंसे) को अंतर्राष्ट्रीय सीमा लांघने पर एक रखाल को 8-10 हजार रुपये मिलते हैं। इस पैसों के लिए यह रखाल अपनी बहुमूल्य जिंदगी को दांव पर लगा देते हैं। इस अवैध कार्य करने के दौरान इनमें से कईयों को अपनी जान गंवानी पड़ती है जैसे बाढ़ के दौरान नदी में डूब जाना, रात को सांप द्वारा काट लेना, आसमानी बिजली से मरना, पशुओं के खुरो तले रौंदे जाना, गैंगवार में मारे जाना, बीएसएफ की गोली से मारा जाना इत्यादि।

पशुओं में सॉकेट बम भी बांध देते हैं तस्कर

पशु तस्करों की अमानवीय, निर्दयी तथा देशद्रोही गतिविधियां बहुत ही घृणित होती हैं। पशु तस्कर जब तस्करी करते हैं तो कई बार यह पशुओं पर "सॉकेट बॉम्ब" यानी इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस बांध देते हैं ताकि जब सीमा सुरक्षा बल के जवान इन पशुओं का बचाव करेंगे तो इसके फटने से उनको मारा जा सके या घायल कर सके। कई बार भारत तथा बांग्लादेश के "रखाल" फेंसिंग के दोनों तरफ 200-300 तक की तादाद में 400-500 संख्या तक पशुओं को जबरदस्ती दौड़ा कर तस्करी करने का प्रयास करते हैं जबकि बीएसएफ के जवानों की संख्या 2-4 तक होती है। यह जवानों पर धारदार हथियारों से, डंडो से तथा पत्थर-ईटों से हमला कर देते हैं। कई बार देसी बॉम्ब तथा पिस्टलों से भी फायर करते हैं। 2020 में अभी तक दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के 16 जवान ट्रांस-बॉर्डर अपराधियों के साथ मुठभेड़ में घायल हो चुके हैं।

संवेदनशील सीमा चौकियों         पर विशेष सतर्कता

बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी व वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने एक बयान जारी कर कहा कि इस वर्ष 'कुर्बानी ईद' से पहले होने वाली पशु तस्करी के दौरान निरीह मवेशियों की जान बचाने के लिए सीमा सुरक्षा बल के प्रहरी पूरी तरह तैयार हैं। मालदा तथा बहरामपुर सेक्टर में तैनात बटालियनों ने अपनी तैयारी पूर्ण कर ली है। कुछ संवेदनशील सीमा चौकियों जिसमें नीमतीता, हारूदंगा, मदनघाट, सोवापुर इत्यादि में अतिरिक्त कंपनियां तथा संसाधन तैनात कर दिए गए हैं। इन सीमा चौकियों के जिम्मेवारी के इलाके में गंगा नदी भारत से बांग्लादेश में प्रवेश करती है,जब फरक्का बांध से पानी छोड़ा जाता है तो इस नदी में बाढ़ आ जाती है जिसका फायदा पशु तस्कर उठाते हैं।

तस्कर पशुओं को 8 से 10 किलोमीटर पीछे ही नदी में डाल देते हैं, नदी में डालने से पहले यह पशुओं की टांगो को रस्सी से बांध देते है, फिर आंखों के ऊपर पट्टी बांधते हैं तथा आखिर में केले के तने के दो टुकड़े करके पशु के दाएं तथा बाएं बांधकर पानी में छोड़ देते हैं। पशु असहाय अवस्था में पानी के बहाव में बहते -बहते जब सीमा रेखा के नजदीक पहुंचता है तो बीएसएफ के जवान उन को बचाते हुए बाहर निकाल लेते है, लेकिन कई बार पशु तस्कर ज्यादा संख्या में पशुओं को नदी में डाल देते है, जिसके कारण सभी पशुओं को बाढ़ में रात के समय बीएसएफ के जवानों द्वारा बचाना मुश्किल हो जाता है जिसके कारण कई पशु बांग्लादेश में बह जाते हैं। जब यह बांग्लादेश में पहुंचते हैं वहां पर बांग्लादेशी पशु तस्कर सैकड़ों की तादाद में नदी में अपनी स्पीड बोटो द्वारा पूरी-पूरी रात इन पशुओं को पकड़ते हैं इस कार्य में कई बार कथित तौर पर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के जवानों की भी सहमति होती है। 


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