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बीएसएफ ने बांग्लादेश सीमा पर 36 विदेशी पक्षियों को तस्करी से बचाया

बीएसएफ के जवानों ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर 36 विदेशी पक्षियों को जब्त किया है। इन पक्षियों की अनुमानित कीमत करीब 49600 रुपये है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 09:06 AM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 09:06 AM (IST)
बीएसएफ ने बांग्लादेश सीमा पर 36 विदेशी पक्षियों को तस्करी से बचाया
बीएसएफ ने बांग्लादेश सीमा पर 36 विदेशी पक्षियों को तस्करी से बचाया

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के जवानों ने बंगाल के नदिया जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा पर तस्करी को नाकाम करते हुए 36 विदेशी पक्षियों को जब्त किया है। कृष्णनगर सेक्टर अंतर्गत  बोर्नबेरिया सीमा चौकी इलाके से होकर इन पक्षियों की बंगलादेश से भारत में तस्करी की कोशिश की जा रही थी जिसे 8वीं बटालियन के सजग जवानों ने नाकाम कर दिया। जब्त पक्षियों में 30 तोते तथा 6 कबूतर शामिल है जिसका अनुमानित बाजार मूल्य करीब 49,600 रुपये है। 

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  अधिकारियों ने बताया कि 11 अगस्त को बीएसएफ के खुफिया विभाग द्वारा बोर्नबेरिया सीमा चौकी इलाके से तस्करी होने की सूचना मिली। सूचना मिलते ही त्वरित कार्रवाई करते हुए कंपनी कमांडर ने अपने इलाके के सारे ड्यूटी पॉइंट्स पर जवानों को अलर्ट कर दिया। रात करीब 11 बजे जवानों ने ड्यूटी पॉइंट नंबर 4 से बांग्लादेश की ओर से निर्माणाधीन लीनियर सीमा चौकी, बोर्नबेरिया की दीवार के ऊपर से कुछ फेंकने की कोशिश करते तस्करों को देखा। इसके बाद जवानों ने तस्करों को रुकने के लिए ललकारा। लेकिन जवानों को देखते ही तस्कर अपनी टोकरी वहीं गिराकर बांग्लादेश की तरफ अंधेरे और दलदली जमीन का फायदा उठाते हुए भाग गए। बीएसएफ के जवानों ने मौके से एक लोहे की टोकरी बरामद की, जिसे खोलने पर उसमें से 36 पक्षियों को जब्त किया गया। बीएसएफ ने आगे की कार्रवाई के लिए जब्त किए गए पक्षियों को रानाघाट वन कार्यालय को सौंप दिया है। 

 इधर बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण बंगाल फ्रंटियर द्वारा चलाए जा रहे शून्य तस्करी अभियान से तस्करों की जब सारी कोशिशें नाकाम हो रही है तो हताश होकर अब वे पक्षियों की तस्करी पर उतर आए हैं। 2 दिन पहले भी बीएसएफ जवानों ने बड़ी संख्या में पक्षियों को जब्त किया था। अधिकारियों ने यह भी बताया कि चूंकि 8वीं बटालियन, बीएसएफ की जिम्मेवारी के अधिकांश इलाके में फेंसिंग नहीं हैं तथा नदी के किनारे और बार्डर रोड के आगे केले बागान होने के कारण दृश्यता में बाधा आती है, जिसका फायदा अक्सर तस्कर उठाने की ताक में रहते हैं। परंतु, 8वीं वाहिनी के जवान दिन-रात प्रतिबद्धता के साथ ड्यूटी कर रहे हैं जिसके कारण तस्करों की कोई भी चाल कामयाब नहीं हो रही है। गौरतलब है कि इस बटालियन के जवानों द्वारा हाल के दिनों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों को भी पकड़ा गया है जब वे अवैध रूप से भारत में घुसने या उस पार जाने की कोशिश कर रहे थे।


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