West Bengal: मरे हुए जानवर के खाल के अंदर छिपाकर की जा रही बछड़े की तस्करी बीएसएफ ने पकड़ी
मरे हुए जानवर के खाल के अंदर छिपाकर की जा रही बछड़े की तस्करी बीएसएफ ने पकड़ी- घृणित व क्रूर हथकंडे अपनाकर सभी सीमाओं को लांघने पर उतारू पशु तस्कर
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ की कड़ी निगरानी व सख्ती के चलते जब पशु तस्करों की कोई चाल कामयाब नहीं हो रही तो अब वे घृणित एवं क्रूर हथकंडे अपनाकर सभी सीमाओं को लांघने पर उतारू हैं।
बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के जवानों ने अब मालदा जिले से तस्करों की एक ऐसी घिनौनी करतूत को पकड़ा है जब मरे हुए जानवर के शरीर (खाल) के अंदर एक बछड़े को छिपाकर नदी के रास्ते बांग्लादेश में तस्करी की जा रही थी। यह घटना रविवार शाम की है जब 44वीं बटालियन सीमा सुरक्षा बल सेक्टर मालदा के सजग सीमा प्रहरियों ने तस्करों की इस करतूत का भंडाफोड़ कर बछड़े को बचाया।
अधिकारियों ने बताया कि महानंदा नदी जो कि सीमा चौकी आदमपुर और सीमा चौकी कुमारपुर जिला मालदा के बीच से बांग्लादेश की तरफ बहती है, में जब जवान निगरानी कर रहे थे तो उन्होंने एक प्लास्टिक की बोरी से बंधा हुआ कुछ पानी में तैरता देखा।
सीमा प्रहरीयों ने अपनी गश्त करने वाली वोट को उस तरफ ले कर गए तथा नजदीक जाकर देखा कि एक मरे हुए जानवर की बॉडी के अंदर कुछ बंधा हुआ था। इसके साथ जलकुंभी भी बंधा हुआ था। इसके अलावा केले के पेड़ का तना भी बंधा हुआ था। जब इसको बीएसएफ जवानों ने गौर से देखा तो पाया कि मरे हुए जानवर की खाल में एक छेद से किसी जानवर का नाक बाहर दिखाई दे रहा था। जब इसे खोला गया तो उसके अंदर से एक जिंदा बछड़ा निकाला गया, जिसकी टांगे और आंख रस्सी तथा कपड़े से बांध रखी थी तथा बछड़ा तड़प रहा था, क्योंकि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। सीमा प्रहरीयों ने तुरंत बछड़े को बाहर निकाल कर उसका बचाव किया।
दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी व वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि इसी तरह की एक घटना इस महीने के पहले हफ्ते में उत्तर 24 परगना जिले के गोलपारा सीमा चौकी में सामने आई थी जब तस्करों ने मरे हुए पशुओं के शरीर के अंदर मछली के अंडे (फिश बॉल) को छिपाकर इच्छामती नदी के रास्ते बांग्लादेश में तस्करी का प्रयास किया था। जवानों ने इसे भी विफल कर दिया था।
उन्होंने बताया कि खासकर बरसात व बाढ़ के समय में जब नदियों में पानी का बहाव तेज हो जाता है तो तस्कर पशुओं को नदी की धारा में बहा देते हैं ताकि यह बहकर बांग्लादेश चले जाएंगे तथा वहां बांग्लादेशी तस्कर इसे निकाल लेंगे। लेकिन, हमारे जवान पूरी तरह सजग हैं और तस्करों की कोई भी कुटिल व घृणित चाल को सफल नहीं होने दे रहे। वहीं, 44वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर एच एस बेदी का कहना है कि उनकी बटालियन के जवानों ने सीमा रेखा पर चौकसी इस कदर बढ़ा दी है कि तस्कर पूरी तरह से हताश हो चुके हैं।
पशु तस्करों ने मानवीय मूल्यों को पूरी तरह त्याग दिया है। ऐसे पशु तस्करों का पूरे समाज द्वारा बहिष्कार किया जाना चाहिए। तस्कर इस प्रयास में रहते हैं कि किसी तरह से भी नदियों के बहाव में पशुओं की तस्करी की जा सके। दरअसल, पशु तस्करों द्वारा अपनाए गए क्रूर हथकंडो पर तो मानवता भी शर्मसार हो रही है। अधिकारियों के अनुसार, जांच में पता चला है कि तस्करों का यह प्रयास एक परीक्षण था। यदि यह मवेशी पार हो जाता तो तस्कर अधिक मवेशियों को इस तरह पार कराने का प्रयास करते।
दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के पूरे क्षेत्र में पशु तस्करी पर कस रखी है नकेल
बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि एक पुख्ता रणनीति तथा उच्च स्तर की इंटेलिजेंस व्यवस्था के माध्यम से इस बरसात के मौसम में भी पशु तस्करी को रोकने की सख्त कार्यवाही भारत-बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपनाई जा रही है। पुलिस विभाग से भी पूरा संपर्क बनाया गया है ताकि बॉर्डर एरिया में जो भी पुलिस स्टेशन है ,उनका पूरा सहयोग प्राप्त किया जा सके।