लोकसभा चुनाव से पहले बंगाल में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने को नई रणनीति पर काम कर रही भाजपा
भाजपा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सूबे में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा ने नए अप्रोच के साथ बंगाल के लोगों तक पहुंचने की योजना तैयार की है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। हालिया संपन्न बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के हाथों करारी शिकस्त खाने के बाद भाजपा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सूबे में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा ने नए अप्रोच के साथ बंगाल के लोगों तक पहुंचने की योजना तैयार की है ताकि उनके बीच अपनी स्वीकार्यता और बढ़ा सकें और तृणमूल की ओर से पैदा की गई उस धारणा को गलत साबित कर सके कि भाजपा बाहरी पार्टी है और तृणमूल ही बंगाल के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।
गौरतलब है कि भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में बंगाल की 42 में से 18 सीटों पर कब्जा जमाया था। उससे उत्साहित होकर केंद्रीय गृह मंत्री व भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के 200 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया था।
बंगाल फतह करने के लिए भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बार-बार चुनाव प्रचार करने बंगाल आए थे। भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने भी बंगाल में डेरा जमा रखा था। इन सबके बावजूद भाजपा केवल 77 सीटें ही जीत पाई। भाजपा की सीटें वर्तमान में घटकर 75 हो गई हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव लड़ने वाले भाजपा के दो सांसदों ने जीतने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है।
भाजपा के एक नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया-'हम बंगाल के लोगों से खुद को सही तरह से कनेक्ट नहीं कर पाए। यही हमारी हार की प्रमुख वजह रही। अब हम नए सिरे से लोगों से जुड़ने पर ध्यान देंगे ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी सियासी जमीन फिर से मजबूत कर सके। तृणमूल का चुनावी नारा 'बांग्ला निजेर मेये के ई चाये' भी काफी सफल रहा।