प्रतिक्रिया: भाजपा ने हाईकोर्ट के फैसले का किया स्वागत, तृणमूल ने दिए सुप्रीम कोर्ट में जाने के संकेत
बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की घटनाएं लज्जाजनक हैं। बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो रही है। हाईकोर्ट के इस फैसले से हिंसा पीड़ितों को न्याय और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में चुनाव बाद हिंसा मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर नंदीग्राम से भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल के शासकों ने सूबे को राजनीतिक हिंसा की प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इससे साबित हो गया है कि न्यायपालिका संविधान और लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ है।
बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की घटनाएं लज्जाजनक हैं। बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो रही है।हाईकोर्ट के इस फैसले से हिंसा पीड़ितों को न्याय और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले ने बंगाल सरकार का पर्दाफाश कर दिया है। बंगाल भाजपा की तरफ से कहा गया कि हाईकोर्ट का फैसला राज्य पुलिस व प्रशासन के राजनीतिकरण, निष्क्रियता और विफलता का प्रकाश डालता है। हाईकोर्ट का फैसला बंगाल की उन सभी मां-बहनों की जीत है, जिन्हें दबाया और उपेक्षित किया गया है।
वहीं बंगाल भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि हाईकोर्ट ने कहा है कि हिंसा के 60 फीसद मामलों में प्राथमिकी दर्ज ही नहीं की गई। दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले का सार्वजनिक तौर पर विरोध नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार हाईकोर्ट के फैसले की समीक्षा करके अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करेगी। घोष ने हालांकि यह जरूर कहा कि चुनाव बाद हिंसा को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित थी। वहीं तृणमूल सांसद सौगत राय ने कहा-'मैं इस फैसले से खुश नहीं हूं। कानून-व्यवस्था पूरी तरह से राज्य का विषय है। इसमें बार-बार सीबीआइ का हस्तक्षेप ठीक नहीं है।
राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ आवेदन करेगी।' सौगत राय ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के भी संकेत दिए। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा जनता की अदालत में हार गई है इसलिए हाईकोर्ट की शरण में आई है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य की कानून-व्यवस्था से जुड़े मामलों को देखना राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। वह केंद्रीय बलों व सेना में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले देख सकती है।'
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्य के मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर जो रिपोर्ट तैयार की है, वह राजनीति से प्रेरित है। आयोग में जो लोग हैं, उनका राजनीतिक परिचय सामने आना चाहिए। मल्लिक ने आगे कहा कि मामले की जांच हो, तभी सभी तथ्य सामने आएंगे।
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सीबीआइ पर भी निगरानी की जरूरत : सुजन
वरिष्ठ माकपा नेता सूजन चक्रवर्ती ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया, हालांकि साथ में यह भी कहा कि सीबीआई पर भी निगरानी की जरूरत है क्योंकि लोगों का उसपर भरोसा कम होता जा रहा है। सुजन ने आगे कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम केवल उन्हीं जगहों पर गई, जहां भाजपा के कार्यकर्ताओं पर हमला हुआ था। उन जगहों पर नहीं गई, जहां पर माकपा के कार्यकर्ता हमले के शिकार हुए।