BSF की बड़ी सफलता: चार माह में तस्करी की 153 कोशिशों को किया नाकाम, 189 तस्कर भी पकड़े
सीमा सुरक्षा बल ( Border Security Force ) ने बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा (India-Bangladesh Border) पर बीते चार माह में तस्करी की 153 कोशिशों को नाकाम करते हुए 189 तस्कर भी पकड़े । घुसपैठ की 289 कोशिशें को भी नाकाम किया।
कोलकाता, राजीव कुमार झा। दक्षिण बंगाल के जिलों से लगती 913 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने तस्करी व घुसपैठ पर पूरी तरह शिकंजा कस दिया है। बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर की ओर से चलाए जा रहे शून्य तस्करी के अभियान के तहत जवानों ने इस साल अब तक जनवरी से लेकर मध्य अप्रैल तक महज चार माह से भी कम समय में सीमा पर तस्करी की 153 कोशिशों को नाकाम किया है।
इस दौरान 189 तस्करों को भी गिरफ्तार किया, जिसमें 36 बांग्लादेशी हैं। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि इस दरम्यान 3.31 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य के तस्करी के विभिन्न सामान भी जब्त किए गए हैं। इसमें मवेशियों से लेकर सोना, चांदी, फेंसिडिल कफ सिरप, मादक पदार्थ, याबा टैबलेट, गांजा व अन्य प्रतिबंधित सामान शामिल हैं। इनमें अधिकतर सामानों की बांग्लादेश में तस्करी की कोशिश की जा रही थी। इसके साथ ही गुलेरिया ने बताया कि इस अवधि में बीएसएफ जवानों ने भारत में घुसपैठ की 289 कोशिशें को भी नाकाम किया और अवैध रूप से सीमा पार करने की कोशिश करते 957 लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें 818 बांग्लादेशी नागरिक हैं।
पिछले साल भी बीएसएफ ने इस सीमा से 517 तस्करों और 3,060 बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा था। गुलेरिया ने दावा किया कि बीएसएफ द्वारा सीमा पर लगातार चलाए जा रहे अभियानों व कार्रवाई के फलस्वरूप इस बॉर्डर इलाके में पिछले कुछ वर्षों में मवेशियों की तस्करी में अब तक की सर्वाधिक कमी दर्ज की गई है। साथ ही अवैध घुसपैठ की घटनाओं में भी भारी कमी आई है। सीमा पर बीएसएफ की सख्ती व कड़ी निगरानी के चलते इस समय तस्करों और इस प्रकार के अपराधों में लिप्त व्यक्तियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, दक्षिण बंगाल का बॉर्डर इलाका दशकों से गो तस्करी और घुसपैठ के लिए कुख्यात रहा है और यह राज्य में राजनीतिक रूप से भी एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। बंगाल के पांच जिले- उत्तर व दक्षिण 24 परगना, नदिया, मालदा व मुर्शिदाबाद जिले की सीमाएं यहां से लगती हैं।
दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण सीमाओं में से एक है यह बॉर्डर इलाका
गुलेरिया ने इस सफलता का पूरा श्रेय सीमा पर निगरानी बढ़ाए जाने व अपने उन जवानों व अधिकारियों को दिया, जो बेहद कठिन हालात में इस दुर्गम बॉर्डर पर दिन- रात ड्यूटी करते हैं। दरअसल, बंगाल से बांग्लादेश की 2,216.7 किमी लंबी सीमा लगती है जिनमें से 913 किमी दक्षिण बंगाल सीमांत से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि यह बॉर्डर इलाका दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण सीमाओं में से एक है। इस बॉर्डर के बड़े इलाके में अब तक फेंसिंग (बाड़) भी नहीं लगी है। साथ ही 71 ऐसे गांव हैं जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट बिल्कुल जीरो लाइन पर बसे हैं। इन गांव में ऐसे भी घर है जिसका आधा हिस्सा भारत तो आधा बांग्लादेश में है। इसके अलावा इसका 350 से ज्यादा किलोमीटर का बॉर्डर इलाका विभिन्न नदियों और समुद्र से गुजरता है। इन भौगोलिक जटिलताओं के कारण इस बॉर्डर की रखवाली करना बीएसएफ के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
गो तस्करी पूरी तरह बंद
इस सीमा क्षेत्र से एक समय सबसे ज्यादा गोवंशीय पशुओं की बांग्लादेश में तस्करी होती थी। बंगाल समेत देश के विभिन्न राज्यों से ट्रकों में भर-भर कर मवेशियों को लाकर इस इलाके से हर दिन हजारों मवेशियों को सीमा पार कराया जाता था। इसके लिए यह क्षेत्र बदनाम रहा है। गो तस्करों का यहां पूरा साम्राज्य (सिंडिकेट) फलता- फूलता था और राजनीतिक संरक्षण में दशकों तक यह अवैध कारोबार चलता रहा। यहां तक कि तस्करी से जुड़े कुछ कथित सरगनाओं ने इससे हजारों करोड़ की संपत्ति बनाई। वहीं, तस्करों के साथ कथित तौर पर कुछ बीएसएफ अधिकारियों व कर्मियों की भी मिलीभगत की बात सामने आई, जिसके चलते बल की छवि धूमिल हुई। लेकिन अब यहां से गो तस्करी बीते दिनों की बात हो चुकी है। खासकर साल 2019 से इसमें भारी कमी आई है।
बीएसएफ ने तस्करों के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया है। गुलेरिया ने दावा किया कि पिछले कुछ सालों में गो तस्करी में निरंतर कमी आते- आते अब यह पूरी तरह बंद हो गई है। जहां पहले हर दिन हजारों मवेशियों की तस्करी होती थी, वहां अब इक्का-दुक्का चोरी छिपे तस्करी की कोशिश भी होती है तो उसे बीएसएफ सफल नहीं होने दे रही है। यह भी बताना आवश्यक है कि दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के मौजूदा नेतृत्व ने पिछले कुछ वर्षों में तस्करी रोकने को जिस प्रकार की इच्छाशक्ति दिखाई है, यदि पहले भी इसके शीर्ष अधिकारियों ने इस प्रकार का कदम उठाए रहते तो शायद दशकों तक यह अवैध कारोबार यूं ही नहीं फलता-फूलता रहता।