Move to Jagran APP

तीन बार बड़े चक्रवात की मार झेलने वाले बंगाल के तटीय इलाकों के किसानों ने खेती के तरीके बदले

पिछले दो वर्षों में तीन बार बड़े चक्रवात की मार झेलने वाले बंगाल के तटीय इलाकों के किसानों ने खेती तरीके बदल रहे हैं। अब तटीय क्षेत्रों में धान की खेती में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 06:27 PM (IST)Updated: Sat, 28 Aug 2021 06:27 PM (IST)
तीन बार बड़े चक्रवात की मार झेलने वाले बंगाल के तटीय इलाकों के किसानों ने खेती के तरीके बदले
दो वर्षों में आए तीन बड़े चक्रवात से बदले खेती के तौर-तरीके

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः पिछले दो वर्षों में तीन बार बड़े चक्रवात की मार झेलने वाले बंगाल के तटीय इलाकों के किसान खेती के तरीके बदल रहे हैं। अब तटीय क्षेत्रों में धान की खेती में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। यहां के किसान अधिक उपज वाले पारंपरिक धान की किस्मों को छोड़कर खारे पानी में भी उपजने वाले धान की किस्मों पर अधिक जोर दे रहे हैं। हाल के दिनों में बंगाल के किसानों का सामना तीन तूफानों से हुआ है।

loksabha election banner

नवंबर 2019 में बुलबुल, मई 2020 में एम्फन और मई 2021 में आए यास तूफान ने खेती के तौर-तरीकों को बड़े स्तर पर प्रभावित किया है। बंगाल के तटीय इलाकों में रहने वाले किसान अब धीरे-धीरे नमक प्रतिरोधी धान की किस्मों की ओर रुख कर रहे हैं। एम्फन के बाद बंगाल सरकार ने करीब 91,000 किसानों को नमक प्रतिरोधी किस्मों के 550 मीट्रिक टन धान के बीज का वितरण किया था। इस बार आए यास तूफान के बाद तीन तटीय जिलों में 120 मीट्रिक बीज का वितरण किया गया।

राज्य के कृषि विभाग ने बताया कि प्रत्येक किसान को बीज उपचार रसायनों के साथ छह किलो बीज वाली एक किट दी गई थी। धान की छह किस्मों- सीएसआर-10, सीएसआर-036, सीएसआर-43, लूना स्वर्ण, लूना संपदा, लूनीश्री और दुदेश्वर का वितरण किया गया। लूना स्वर्ण पहली बार वितरित किया गया था। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यदि सब कुछ ठीक रहा तो इस 1200 मीट्रिक टन बीजों से लगभग 38,890 हेक्टेयर खेत में नमक प्रतिरोधी धान को उगाया जा सकता है।

इससे करीब तीन लाख किसान लाभान्वित होंगे। चक्रवात के बाद खारा पानी खेत में भर जाने के कारण इस बार कोई फसल होने की उम्मीद नहीं थी। ऐसे में इन किस्मों की खेती किसानों के लिए अच्छी साबित होगी। उच्च उपज किस्म के धान की पैदावार लगभग पांच मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर होती है।

--------------------------------------

खारा पानी भरने के बाद भी धान की खेती देख खुश हैं किसान

बंगाल के तीन तटवर्ती जिले पूर्व मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना में लगभग 1.42 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि खारा हो गई, जो राज्य की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 2.5 फीसद है। एक अधिकारी ने बताया कि सामान्य मिट्टी में विद्युत चालकता एक डेसीमेंस प्रति मीटर से कम होती है। लेकिन एम्फन और यास तूफान के बाद खारा पानी आने से विद्युत चालकता बढ़कर 34 डेसीमेंस प्रति मीटर हो गई।

धान की फसल उच्च उपज देने वाली किस्म मिट्टी में विद्युत चालकता 10 डेसीमेंस प्रति मीटर से अधिक होने पर मर जाती है। इस स्थिति को देखकर इस बार इन खेतों में एक दाना उत्पादन की उम्मीद नहीं थी। लेकिन अब पूरे इलाके में फसल लहलहा रही है। तीन महीने बाद अपने खेतों में धान के पौधे देखकर किसान खुश हैं और वे अच्छी पैदावार पाने की उम्मीद कर रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.