ममता के गढ़ में पांच वर्ष पहले ही लगी थी सेंध, 2011 के उपचुनाव से 2016 के विधानसभा चुनाव में कम रहा ममता की जीत का अंतर
नंदीग्राम के बाद अब भवानीपुर से भी चुनावी अखाड़े में हैं। सुवेंदु अधिकारी से चुनाव हार बाद मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए ममता बनर्जी को विधानसभा की सदस्यता चाहिए और वह अब भवानीपुर सीट से इस संग्राम में उतरी हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः नंदीग्राम के बाद बंगाल के विधानसभा उपचुनाव में अब हाट सीट भवानीपुर बना हुआ है। इसकी वजह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं, क्योंकि नंदीग्राम के बाद अब भवानीपुर से भी चुनावी अखाड़े में हैं। सुवेंदु अधिकारी से चुनाव हार बाद मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए ममता बनर्जी को विधानसभा की सदस्यता चाहिए और वह अब भवानीपुर सीट से इस संग्राम में उतरी हैं।
ममता पिछले इससे पहले दो चुनाव वह अपने घर की सीट भवानीपुर से जीतती रही हैं। लेकिन इस बार ममता बनर्जी ने क्यों यहां से रुखसत किया और नंदीग्राम से चुनाव लड़ीं। अब वह वापस इस सीट से चुनाव लड़ रही हैं। यह सीट तृणमूल कांग्रेस के लिए हमेशा से खास रही है। 2021 में इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस(टीएमएसी) के शोभनदेब चट्टोपाध्याय लड़े। शोभनदेव को 73,505 वोट मिले। यह कुल वोट का 57.71 फीसद था। वहीं भाजपा के रुद्रानील घोष को 44,786 वोट मिले जो 35.16 फीसद था। कांग्रेस का परफार्मेंस बेहद खराब रहा। उनके प्रत्याशी मोहम्मद शादाब खान को महज 5,211 वोटों से ही संतोष करना पड़ा।
बहुजन समाज पार्टी की अनीता राजवार को महज 564 वोट मिले। उनके वोटों से ज्यादा वोट नोटा में पड़े। नोटा के लिए 1,570 लोगों ने वोट किया। इस चुनाव में टीएमसी पिछले चुनाव की तुलना में 10.4 फीसद ज्यादा वोट पाने में सफल रही। वहीं बीजेपी को 16.3 फीसद बढ़त मिली। 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता ने लेफ्ट का 34 साल पुराना किला ध्वस्त किया था। कांग्रेस के साथ गठबंधन में टीएमसी ने 226 सीटें (टीएमसी 184, कांग्रेस 42) जीतते हुए लेफ्ट फ्रंट का गढ़ अपने कब्जे में कर लिया था। भवानीपुर सीट से टीएमसी के सुब्रत बख्शी जीते थे। सुब्रत को 87903 (64.77 फीसद वोट) और सीपीएम के हारे प्रत्याशी नारायण प्रसाद जैन को 37967 वोट हासिल हुए। सुब्रत ने 49936 वोटों (कुल वैध मतों का 36.79 फीसद) से चुनाव जीता। ममता ने इसी सीट से उपचुनाव लड़ीं।
उपचुनाव में ममता बनर्जी ने 77.46 फीसद वोटों के साथ सीपीएम की नंदिनी मुखर्जी को करीब 54 हजार वोटों से शिकस्त दी। यानी ममता ने 12.69 प्रतिशत ज्यादा मत हासिल किए। लेकिन इसके पांच साल बाद 2016 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो ममता की जीत का अंतर बहुत कम हो गया। ममता को 65,520 वोट मिले। यानी 2011 में जितना वोट मिला था उससे 30 हजार कम वोट उन्हें मिले।
कांग्रेस की दीपा दास मुंशी को 40,219 वोट हासिल हुए। इस बार दीदी ने 25,301 वोटों से जीत दर्ज की लेकिन 2011 के मुकाबले उन्हें 29.79 फीसद कम (47.67 प्रतिशत) वोट मिले। भाजपा के चंद्र कुमार बोस को इस चुनाव में 26291 वोट मिले थे। 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे को देखें तो स्थित और दयनीय हो गई थी। इस विधानसभा सीट पर भाजपा के साथ तृणमूल का अंतर काफी कम रह गया था।
भवानीपुर सीट की अनुमानित साक्षरता दर है 87.14 फीसद है। 2021 के चुनाव में यहां कुल 2,06,272 वैध मतदाता थे, जिनमें से 1,11,151 पुरुष, 95,117 महिलाएं और 4 अन्य लिंग के वोटर थे। 2016 के चुनाव में कुल वैध वोटर्स 2,05,713 थे। इनमें से 1,12,548 पुरुष और 93,162 महिलाएं वोटर थीं। इसके अलावा 3 अन्य लिंग के वोटर थे।