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बंगाल का ‘अभिशप्त’ गांव, किडनी की बीमारी ने मचाया कहर, 200 की मौत

झारखंड और बंगाल की पर स्थित पाइक पाड़ा गांव में 200 से ज्यादा लोगों की मौत किडनी की बीमारी से हो चुकी है। गांव के 80 लोग अभी भी किडनी की बीमारी से ग्रसित हैं। लोग फिल्टर का पानी पी रहे हैं पर किडनी की बीमारी नहीं जा रही है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 09:18 AM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 09:20 AM (IST)
बंगाल का ‘अभिशप्त’ गांव, किडनी की बीमारी ने मचाया कहर, 200 की मौत
पाइक पाड़ा गांव में किडनी की बीमारी ने मचाया कहर

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में एक ऐसा गांव भी है जहां लोगों को धीमी मौत मिल रही है। खौंफ का आलम ये है कि लोग अब गांव छोड़कर दूसरी जगह जाने को मजबूर हैं। झारखंड और बंगाल की सीमा पर वीरभूम जिले के रामपुरहाट ब्लॉक में पड़ने वाले इस गांव का नाम है- पाइक पाड़ा। इस गांव की आबादी महज हजार के आसापास है लेकिन यहां 200 से ज्यादा लोगों की मौत किडनी की बीमारी से हो चुकी है। तकरीबन 80 लोग अभी भी किडनी की समस्या से जूझ रहे हैं।

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कोरोना के मामलों में सुधार आते ही पश्चिम बंगाल के इस गांव के लोग रामपुरहाट हॉस्पिटल में जुट रहे हैं। कोई डायलिसिस करने तो कोई किडनी के डॉक्टर को ढूंढने के लिए। गांव के लोगों का कहना है कि तीन साल पहले यहां एक सरकारी टीम आई थी और यहां से पानी का नमूना लेकर गई थी लेकिन अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली। यहां हर घर में पानी का सस्ता फिल्टर मिल जाएगा। लोग फिल्टर का पानी पी रहे हैं पर किडनी की बीमारी नहीं जा रही। अब आलम ये है कि यहां के लोग ठीक होने की चाहत में ट्यूबवेल का पानी पी रहे हैं। पहले लोगों ने कुएं का पानी पीकर भी देख लिया पर कोई फायदा नहीं हुआ।

इसलिए जहर बन रहा है यहां का पानी

लोगों का ऐसा मानना है कि पत्थर की खदानों के पास होने की वजह से पानी में कुछ बेहद दूषित केमिकल मिल गया है। इसी वजह से ऐसा है। रामपुरहाट के डॉक्टर भी मानते हैं कि शायद खराब पानी की वजह से ही किडनी की बीमारी हो रही है। लेकिन किसी भी तरह के शोध के अभाव में लोगों की मुसीबतों की वजह का पता और उपाय नहीं है।

लगातार बढ़ते जा रहे हैं इस गांव में किडनी पेशेंट

यहीं के निवासी मानिक शेख के मुताबिक पिछले सात से आठ साल से यहां किडनी की समस्या शुरू हुई है। गांव के स्वास्थ्य केंद्र में किडनी का कोई उपचार नहीं होने की वजह से पहले लोग बर्द्धमान जाते थे लेकिन कुछ साल पहले रामपुरहाट अस्पताल में किडनी के इलाज की व्यवस्था होने के बाद अब यहां इलाज के लिए आते हैं। इसी गांव के रहने वाले माकू टुडू ने बताया कि उन्होंने बहुत दिन तक पत्थर की खदानों में काम किया है। इसी के बाद से उनको किडनी की समस्या शुरू हुई। वहीं स्थानीय डॉक्टर अनिर्बान दास के मुताबिक, पीने के पानी से ही ये समस्या हो रही है। संभवतः पानी में कुछ ऐसा है जो किडनी रोग को बढ़ावा दे रहा है।


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