चुनाव बाद हिंसा से कराह उठा था बंगाल, बड़ी संख्या में लोगों को घर छोड़कर असम या अन्य राज्यों में लेनी पड़ी थी शरण
बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के बाद पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है। कोर्ट ने हत्या एवं दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों की सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं जबकि इससे जुड़े अन्य मामलों के लिए एसआइटी का गठन किया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के बाद पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है। कोर्ट ने हिंसा मामले में हत्या एवं दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों की सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं जबकि इससे जुड़े अन्य मामलों के लिए एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया है। दरअसल बंगाल में दो मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद जिस तरह की हिंसा हुई थी वह दिल को झकझोर देने वाली थी। बंगाल के कई शहरों में भड़की हिंसा का मंजर देख मानो पूरा बंगाल कराह उठा था।
प्रदेश भाजपा का दावा रहा है कि चुनाव बाद हिंसा में उसके 50 से अधिक कार्यकर्ताओं की जानें गईं। साथ ही बड़ी संख्या में लोग घायल हुए और हजारों लोग अभी भी हिंसा के बाद दूसरे राज्यों में शरण लिए हुए हैं। पार्टी का दावा है कि चुनाव परिणाम के बाद प्रतिशोध के तौर पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं व गुंडों ने हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के घरों में आगजनी और तोड़फोड़ की। जिसके चलते हजारों लोगों को लोग जान बचाने के लिए असम और झारखंड जैसे राज्यों में शरण लेनी पड़ी थी। यहां तक कि महिलाओं तक को नहीं छोड़ा गया। महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की भी घटनाएं सामने आई।
इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बंगाल की कई महिलाओं ने पिछले दिनों सामूहिक रूप से सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर आरोप लगाया था कि चुनाव बाद हुई हिंसा में उनके साथ दुष्कर्म किया गया।याचिकाकर्ताओं में एक नाबालिग लड़की भी है। यही नहीं पूर्व मेदिनीपुर जिले की रहने वाली हिंसा की शिकार 60 साल की एक महिला ने दावा किया कि उसके छह साल के पोते सामने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। याचिका में उसने दावा किया था कि चुनाव नतीजे के बाद तीन मई को 100-200 लोगों की भीड़ उनके घर पहुंची जो कि तृणमूल के समर्थक थे। उन्हें घर खाली करने को कहने लगे। हमलावरों ने उनकी बहू को भी पीटा। इसके अगले दिन फिर कुछ लोग उनके घर में घुस कर उसके हाथ पैर बांध दिए और फिर सामूहिक दुष्कर्म किया। महिला ने दावा किया कि पुलिस ने इस मामले में एफआइआर तक दर्ज नहीं की।
जंगल में ले जाकर किया गया था दुष्कर्म
इसी तरह का एक दर्दनाक मंजर 17 साल की एक लड़की ने बयां किया था। उसने दावा किया कि चार लोगों ने उसे पास के जंगल में घसीट कर ले जाकर करीब एक घंटे तक उसके साथ दुष्कर्म किया था। उसने दावा किया कि उसके परिवार की राजनीतिक और धार्मिक विचारधारा की वजह से उसे निशाना बनाया गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में महिलाओं के साथ दुष्कर्म व अत्याचार का जिक्र किया था।
भाजपा नेता की बुरी तरह से पीट कर कर दी गई थी हत्या
चुनाव बाद हिंसा में कोलकाता के कांकुरगाछी इलाके में भाजपा के श्रमिक प्रकोष्ठ के नेता अभिजीत सरकार की हत्या का मामला भी काफी सुर्खियों में रहा। भाजपा लगातार दावा करती रही है कि तृणमूल के गुंडों ने अभिजीत को बुरी तरह से पीटा, इसके बाद गला दबाकर उसकी हत्या कर दी गई। कई दिनों तक उसका शव अस्पताल के मार्ग में पड़ा रहा था। हाई कोर्ट के निर्देश पर अभिजीत के शव का दो-दो बार पोस्टमार्टम हुआ।यही नहीं उसके शव की इतनी वीभत्स तस्वीर थी कि उसकी पहचान के लिए हाई कोर्ट ने डीएनए जांच का निर्देश दिया था।
कई जिलों में व्यापक पैमाने पर हुई थी हिंसा
कोलकाता से लेकर उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली, बीरभूम समेत उत्तर बंगाल के जिलों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। कई दिनों तक हिंसा का सिलसिला चलता रहा था। हिंसा के डर से उत्तर बंगाल के जिलों से भागकर लोग असम चले गए थे। बाद में बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी असम का दौरा कर वहां शरण लिए लोगों का हाल जाना था। राज्यपाल ने कूचबिहार व पूर्व मेदिनीपुर जिले के हिंसा प्रभावित इलाकों का भी दौरा किया था। बाद में हाई कोर्ट के निर्देश पर हिंसा के डर से भागे हुए कुछ परिवारों की घर वापसी हुई थी।
ममता सरकार खारिज करती रही है हिंसा का आरोप
दूसरी ओर, इतने बड़े पैमाने पर हिंसा के बावजूद ममता सरकार इन आरोपों को लगातार खारिज करती रही है। खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार दावा करती रही है कि हिंसा की कुछ छोटी- मोटी घटनाओं को छोड़ हिंसा नहीं हुई। ऐसे में हाई कोर्ट का यह फैसला ममता सरकार के लिए बड़ा झटका है और पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है।