Bengal Violence: बंगाल सरकार को चुनाव बाद हिंसा की रिपोर्ट पर पूरक हलफनामा दाखिल करने की अनुमति
Bengal Violence उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य में विधानसभा चुनाव बाद हुई कथित हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच समिति की रिपोर्ट के सिलसिले में पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को पश्चिम बंगाल सरकार को राज्य में विधानसभा चुनाव बाद हुई कथित हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच समिति की रिपोर्ट के सिलसिले में पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने निर्देश दिया कि इस विषय को फिर से दो अगस्त को सुनवाई के लिए लिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर, एनएचआरसी की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों ने कलकत्ता हाई कोर्ट में मामला दायर किया है। बुधवार को हाईकोर्ट में चुनाव बाद हिंसा में मारे गए भारतीय जनता पार्टी की मजदूर शाखा के दिवंगत नेता अभिजीत सरकार की डीएनए रिपोर्ट भी अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ने पीठ को सौंपी।
अदालत ने पहचान स्थापित करने के लिए सरकार के डीएनए का मिलान उनके भाई से कराने का निर्देश दिया था। क्योंकि अभिजीत के भाई ने सवाल उठाया था कि पोस्टमार्टम किया गया उनके भाई का नहीं है। बुधवार को मानवाधिकार आयोग के वकील सुबीर सान्याल ने कहा कि रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद भी कई शिकायतें मिलीं, इनमें से 16 ऐसे मामले हैं जहां पुलिस या क्षेत्र के नेता अपनी शिकायतें छोड़ने की धमकी दे रहे हैं। मैं इस पर अतिरिक्त रिपोर्ट देना चाहूंगा, लेकिन बेंच ने अनुमति नहीं दी।
तृणमूल के दो विधायकों ने एनएचआरसी की रिपोर्ट को दी चुनौती, दायर किया मामला
वहीं दूसरी ओर एनएचआरसी की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों ने कलकत्ता हाई कोर्ट में मामला दायर किया है। तृणमूल विधायक ज्योतिप्रिय मल्लिक और पार्थ भौमिक ने इस मामले में पक्षकार बनने के लिए आवेदन किया है। उनके मुताबिक आयोग ने एकतरफा रिपोर्ट दी है। बताते चलें कि एनएचआरसी ने अपनी रिपोर्ट में इन दोनों विधायकों को कुख्यात अपराधियों की सूची में शामिल किया है। एनएचआरसी समिति ने 13 जुलाई को सौंपी गई अंतिम रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति पर तल्ख टिप्पणी की थी। अदालत के निर्देश पर आयोग के अध्यक्ष ने समिति गठित की थी। हालांकि, राज्य सरकार ने सोमवार को सौंपे गये अपने हलफनामे में रिपोर्ट के निष्कर्षों को खारिज कर दिया और आरोप लगाया कि यह राजनीति से प्रेरित है तथा ममता बनर्जी सरकार को बदनाम करने के प्रति लक्षित है।