Bengal Politics: दलबदलुओं के खिलाफ विरोध, आसान नहीं है भाजपा में गए तृणमूल नेताओं की घर वापसी
मुश्किल राह- दलबदलुओं को वापस नहीं लेने के लिए तृणमूल के भीतर विरोध तेज चुनाव के समय पार्टी छोड़ने वालों को गद्दार बताकर कई जगह पोस्टर भी लगाए गए दलबदलुओं के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए तृणमूल नेतृत्व भी फूंक-फूंक कर कदम उठा रहा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) छोड़कर भाजपा में आए ज्यादातर नेता अब अपनी व पार्टी की हार के बाद घर वापसी की कोशिशों में लगातार जुटे हैं। हालांकि तृणमूल में उनकी घर वापसी आसान नहीं दिख रही। वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय के वापस तृणमूल में शामिल होने के बाद अब दूसरे नेताओं की भी घर वापसी की संभावना को देखते हुए पार्टी के भीतर विरोध तेज हो गया है।
पूर्व मंत्री राजीब बनर्जी, पूर्व विधायक सब्यसाची दत्ता, प्रबीर घोषाल, सरला मुर्मू, सुनील सिंह जैसे कई नेता जो पार्टी में वापसी की जुगत में है, इनके खिलाफ तृणमूल नेता व कार्यकर्ता खुले तौर पर विरोध में उतर आए हैं। यहां तक कि इन नेताओं को गद्दार बताकर कई जगहों पर पोस्टर भी लगाए गए हैं। इससे पहले मुकुल के शुक्रवार को तृणमूल में शामिल होने के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी साफ तौर पर कह चुकीं हैं कि जिन्होंने चुनाव के समय पार्टी के साथ गद्दारी की है उन गद्दारों को वापस नहीं लिया जाएगा। इसके बाद विरोध और तेज हो गया है। जिसके कारण दलबदलुओं की वापसी इतनी आसान नहीं है।
इनमें खासकर राजीब बनर्जी व सब्यसाची दत्ता के खिलाफ सबसे ज्यादा विरोध देखा जा रहा है। हावड़ा के डोमजूर विधानसभा क्षेत्र, जहां से राजीब ने 2016 के विधानसभा चुनाव में पूरे राज्य में रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी वहां उनके खिलाफ तृणमूल कार्यकर्ताओं ने कई जगह पोस्टर लगा दिए हैं। इसमें उन्हें गद्दार बताकर पार्टी में वापस नहीं लेने को कहा गया है।
हावड़ा से तृणमूल के सांसद प्रसून बनर्जी एवं श्रीरामपुर से सांसद कल्याण बनर्जी ने भी उनका विरोध करते हुए साफ कहा है कि चुनाव के समय पार्टी छोड़ने वालों को वापस नहीं लिया जाना चाहिए। डोमजूर से राजीब इस बार 40,000 से ज्यादा वोटों से हार गए।
दरअसल, शनिवार को राजीब ने तृणमूल कांग्रेस के महासचिव कुणाल घोष से उनके घर पर जाकर मुलाकात की थी। इसके तुरंत बाद ही सांसद प्रसून बनर्जी व कल्याण बनर्जी ने उनका विरोध जताया। दूसरी ओर, विधाननगर के पूर्व मेयर सब्यसाची दत्ता की वापसी के विरोध में विधाननगर के विधायक व राज्य के दमकल मंत्री सुजीत बोस खुलकर उतर आए हैं। दोनों की प्रतिद्वंद्विता जगजाहिर हैं। बोस ने साफ कहा है कि दत्ता को पार्टी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। इधर, दलबदलुओं के खिलाफ बढ़ते विरोध को देखते हुए तृणमूल नेतृत्व भी फूंक-फूंक कर कदम उठा रहा है।