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बंगाल में जानलेवा बने राष्ट्रीय राजमार्ग

ओमप्रकाश सिंह हावड़ा बंगाल से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर ट्रैफिक नियमो

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 05:58 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 06:18 AM (IST)
बंगाल में जानलेवा बने राष्ट्रीय राजमार्ग
बंगाल में जानलेवा बने राष्ट्रीय राजमार्ग

ओमप्रकाश सिंह, हावड़ा : बंगाल से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर ट्रैफिक नियमों की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं, जिसके कारण वे जानलेवा बनते जा रहे हैं। राज्य के विभिन्न जिलों में करीब 2400 किलोमीटर तक कुल 16 एनएच हैं, जो एनएच-2, एनएच-6, एनएच-31, एनएच-31ए, एनएच-31सी, एनएच-32, एनएच-34, एनएच-35, एनएच-41, एनएच-55, एनएच-60, एनएच-60ए, एनएच-80, एनएच-81, एनएच-116बी और एनएच-117 नामों से हैं। इन सभी एनएच पर ढेरों भयानक हादसे हुए हैं, जिनमें 4,244 लोगों की मौत हुई है। एनएच राज्य के विभिन्न जिलों से होते हुए असम, झारखंड, बिहार और ओड़िशा में प्रवेश करते हैं। स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2018 में बंगाल में विभिन्न एनएच पर कुल 2,310 हादसे हुए, जिनमें 1,202 लोगों की मौत हुई जबकि 2,329 लोग घायल हुए। चालू वर्ष में जून तक विभिन्न एनएच में 1,564 हादसे हुए, जिनमें 918 लोगों की जानें गईं जबकि 1,606 लोग घायल हुए। स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के पास 2015 में हुए सड़क हादसों का आंकड़ा मौजूद नहीं है। वहीं नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में एनएच पर सबसे अधिक हादसे हुए हैं। उस साल कुल 3,661 हादसे हुए, जिनमें 2,124 लोगों की मौत हो गई जबकि 3,369 लोग घायल हुए, यानी इन तीन वषरें में विभिन्न एनएच पर कुल 7,531 हादसे हुए, जिनमें 4,244 लोगों की मौत हुई जबकि 7,304 लोग घायल हुए। इन आंकड़ों के अनुसार प्रति महीने बंगाल के एनएच पर 117 लोगों की मौत हो रही है, जो बेहद चिंताजनक है। इतनी अधिक संख्या में दुर्घटना होने के पीछे एक प्रमुख कारण यह बताया जा रहा है कि विभिन्न एनएच का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण इलाकों से होकर गुजरता है। अधिकांश जगह लाइट, स्पीड ब्रेकर, ट्रैफिक पुलिसकर्मी, जेबरा क्रासिंग और लाइट सिग्नल का अभाव है। लोगों को जान जोखिम में डालकर प्रतिदिन एनएच पर आवाजाही करनी पड़ रही है। बंगाल से होकर गुजरने वाले जीटी रोड, स्टेट एक्सप्रेसवे समेत अन्य सड़कों पर किसी भी महीने में सड़क हादसों में एनएच की तरह मौतें नहीं हो रही हैं।

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