2600 करोड़ से तीन जिलों में बाढ़ प्रबंधन प्रणाली विकसित करेगी बंगाल सरकार
पश्चिम बंगाल राज्य कृषि और सिंचाई विभाग ने हावड़ा, हुगली और सुदूर बीरभूम जिले में बाढ़ प्रबंधन प्रणाली को विकसित करने की नई कोशिशें तेज कर दी है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। पश्चिम बंगाल राज्य कृषि और सिंचाई विभाग ने हावड़ा, हुगली और सुदूर बीरभूम जिले में बाढ़ प्रबंधन प्रणाली को विकसित करने की नई कोशिशें तेज कर दी है। इसके लिए 2600 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। सोमवार को विभाग की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई हैं।
इसमें बताया गया है कि राज्य सरकार ने 2019 के पहले 4 महीने में हावड़ा, हुगली और बीरभूम जिलों में बाढ़ प्रबंधन प्रणालियों को फिर से कॉन्फ़िगर करने का फैसला किया है। तीन चरणों वाली बाढ़ प्रबंधन परियोजना विश्व बैंक से 2,600 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के साथ विकसित की जाएगी।
इन तीनों ही जिलों में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो बारिश के दौरान बाढ़ प्रभावित हो जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने बाढ़ प्रबंधन प्रणाली को विकसित करने का निर्णय लिया है जिसके जरिए बारिश के दौरान एकत्रित होने वाले पानी को एक फिक्स चैनल के जरिए सिंचाई व्यवस्था के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। सिंचाई विभाग की ओर से बताया गया है कि शॉर्ट-कट डायवर्शन नहरों की एक श्रृंखला बनने जा रही है जो 30,000 क्यूबिक फीट प्रति सेकंड (क्यूसेक) पानी का परिवहन करने में सक्षम होगी।
यानी बारिश या बाढ़ की सूरत में प्रति सेकंड 30000 क्यूबिक फीट पानी को यह नहर खींचने में सक्षम होगी। हाल ही में हावड़ा जिले के आमता में एक करोड़ ₹95 लाख 55 हजार रुपये की लागत से रुपये की लागत से घोरबेरिया चितन ग्राम पंचायत में रूपनारायण नदी के 600 मीटर किनारे की मरम्मत की गई है। इसके अलावा 6.54 लाख रुपये की लागत से खालना कशमाली ग्राम पंचायत में शॉर्ट-कट डायवर्शन नहर के लिए कटाव रोकने हेतु कंक्रीट निर्माण का काम किया गया है।
सिंचाई विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक 3 करोड़ 94 लाख 70 हजार रुपये की लागत से खलना कशमाली ग्राम पंचायत में शॉर्ट-कट डायवर्जन नहर के दोनों किनारों पर बांधों के साथ 19.9 किमी लंबी सड़कों का निर्माण कार्य पूरा होगा।
एक करोड़ 65 लाख 35 हजार रुपये की लागत से हावड़ा जिले के कुशबरिया ग्राम पंचायत में गायघाटा नहर के बाएं किनारे पर 500 मीटर नदी के किनारे को कटाव मुक्त करने के लिए काम किया जाएगा। राज्य सरकार की कोशिश है कि एक साल के अंदर इन तीनों जिलों में इस परियोजना को पूरा किया जा सके।