बंगाल सरकार ने एसआइटी की मदद के लिए 10 आइपीएस अधिकारियों को नियुक्त किया
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामलों की विशेष जांच दल (एसआइटी) द्वारा जांच शुरू नहीं किए जाने से कलकत्ता उच्च न्यायालय ने असंतोष व्यक्त किया था। सीबीआइ ने कोर्ट के आदेश के बाद जांच शुरू की लेकिन कुछ वादियों ने एसआइटी गठित नहीं होने को लेकर शिकायत की थी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल सरकार ने राज्य में चुनाव के बाद हिंसा के मामलों की जांच के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) की मदद करने के लिए 10 आइपीएस अधिकारियों को नियुक्त किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों को कोलकाता पुलिस के तहत आने वाले इलाकों के साथ ही राज्य के उत्तर, पश्चिम और दक्षिण जोन के लिए तैनात किया गया है।
राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार आइपीएस अधिकारियों को कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा गठित एसआइटी की मदद करने के लिए उन्हें नियमित कार्यों से छूट दी जाती है। कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए 19 अगस्त को एसआइटी के गठन का आदेश दिया था जिसमें भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सोमेन मित्रा, सुमन बाला साहू और रणबीर कुमार शामिल थे।
एसआइटी की जांच शुरू नहीं होने से हाई कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
बताते चलें कि पिछले दिनों बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के मामलों की विशेष जांच दल (एसआइटी) द्वारा जांच शुरू नहीं किए जाने से कलकत्ता उच्च न्यायालय ने असंतोष व्यक्त किया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने कोर्ट के आदेश के बाद जांच शुरू की, लेकिन कुछ वादियों ने एसआइटी गठित नहीं होने को लेकर शिकायत की थी। वे फिर हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने उस अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि हम जानते हैं कि एसआइटी काम नहीं कर रही है। आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। वादियों के मुताबिक सीबीआइ ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही कार्रवाई की है। उन्होंने अलग-अलग जिलों में जांच शुरू कर दी है।
अदालत ने एसआइटी को अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण आरोप की घटना की जांच करने का निर्देश दिया। लेकिन एसआइटी की ओर से कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। इसलिए अभी यह तय नहीं हुआ है कि जांच किसकी देखरेख में होगी।वादियों ने एसआइटी की जांच में तेजी लाने के लिए अदालत से हस्तक्षेप की मांग की।