बंगाल के वित्त मंत्री ने सीतारमण के दावों को किया खारिज, कहा- केंद्र को दिया था प्रवासियों का डाटा
बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के उन दावों को खारिज किया कि बंगाल ने केंद्र को प्रवासी कामगारों के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के उन दावों को खारिज किया कि बंगाल ने केंद्र को प्रवासी कामगारों के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए हैं। मित्रा ने कहा कि राज्य सरकार ने उसी दिन केंद्र को आवश्यक जानकारी भेजी थी जिस दिन मांगी गई थी। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री के इस दावे को भी बिल्कुल असत्य करार दिया कि केंद्र ने राज्य को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए 10,000 करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं। मित्रा ने दावा किया कि केंद्र से कोविड-19 के लिए बंगाल को एक पैसा भी नहीं मिला है। दरअसल, एक दिन पहले रविवार को बंगाल में भाजपा की वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा था कि बंगाल को गरीब कल्याण रोज़गार अभियान (जीकेआरए) का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता क्योंकि राज्य सरकार ने प्रवासी मजदूरों का कोई डेटा नहीं दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 जून को जीकेआरए की शुरुआत उन क्षेत्रों/ गांवों में आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए की थी, जहां बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक वापस लौटे हैं। निर्मला के इस आरोप के बाद सोमवार को एक वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में राज्य के वित्त मंत्री ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय वित्त मंत्री झूठ बोल रही हैं। उन्होंने कहा कि यह या तो हो सकता है कि वह गलत जानकारी दे रही था या उन्हें पता नहीं था। मित्रा ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से दो पत्र प्राप्त हुए जो बंगाल के प्रवासी श्रमिकों पर जिला और ब्लॉक स्तर के डेटा की मांग से संबंधित है।हमने पत्र प्राप्त करने के दिन ही अपनी प्रतिक्रियाएं दी थीं और उल्लेख किया था कि बंगाल में 20 जिले हैं जहां प्रवासी श्रमिक हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन दुर्भाग्य से केंद्र के रोजगार योजना में राज्य का एक भी जिला शामिल नहीं किया गया। दरअसल इस योजना में केंद्र ने देश के 6 राज्यों के 116 जिलों को शामिल किया है जहां प्रवासी मजदूरों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएंगे। बंगाल को इसमें शामिल नहीं किया गया है। मित्रा ने जोर देकर कहा कि बंगाल को जानबूझकर इस योजना से नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री के बयान को राजनीति से प्रेरित बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि स्पेन, पुर्तगाल और इटली जैसे देशों ने लॉकडाउन लगाने से पहले जनसांख्यिकीय प्रवाह की अनुमति देने के लिए चार दिन का समय दिया था जबकि भारत में केवल चार घंटे दिए गए थे। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अर्थव्यवस्था में प्रवासी श्रमिकों के योगदानों के बारे में पता नहीं है। मित्रा ने यह भी कहा कि कोरोना संकट के बाद करीब 14 लाख प्रवासी श्रमिक बंगाल वापस आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन ने कौशल मानचित्रण करने के बाद 100 दिनों के कार्यक्रम के तहत ऐसे लाखों श्रमिकों को रोजगार प्रदान किए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उन्हें 1,000 रुपये की नकद सहायता की घोषणा की थी। राज्य के वित्त मंत्री ने इस बात से भी इनकार किया कि केंद्र ने राज्य को कोविड-19 से लड़ने के लिए 10,000 करोड़ रुपये दिए थे, जैसा कि सीतारमण ने दावा किया था। उन्होंने कहा, यह बिल्कुल असत्य है। केंद्र ने एक पैसा भी नहीं दिया है जबकि बंगाल ने पहले ही अपने संसाधनों से 1,000 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं।