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नेता-कार्यकर्ताओं के पार्टी विरोधी बयानों को अब बर्दाश्त नहीं करेगा बंगाल माकपा नेतृत्व

पार्टी की तरफ से खुला पत्र लिखकर इस बाबत दिया गया है कड़ा संदेश। हाल में कांति गांगुली तन्मय भट्टाचार्य व अंजंता बिस्वास समेत कई नेताओं ने पार्टी विरोधी बयान दिए हैं। माकपा पूर्वतया अजंता के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है।

By Priti JhaEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 09:19 AM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 09:19 AM (IST)
नेता-कार्यकर्ताओं के पार्टी विरोधी बयानों को अब बर्दाश्त नहीं करेगा बंगाल माकपा नेतृत्व
नेता-कार्यकर्ताओं के पार्टी विरोधी बयानों को अब बर्दाश्त नहीं करेगा बंगाल माकपा नेतृत्व

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल माकपा नेतृत्व अपने नेताओं व कार्यकर्ताओं के पार्टी विरोधी बयानों को अब कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। पार्टी की तरफ से खुला पत्र लिखकर इस बाबत कड़ा संदेश दे दिया गया है। इस पत्र में कहा गया है कि पार्टी द्वारा विभिन्न मामलों में नरम रवैया अख्तियार करने का यह मतलब नहीं समझा जाना चाहिए कि बार-बार इस तरह से पार्टी को प्रतिकूल परिस्थितियों में लाया जाएगा और पार्टी की तरफ से ऐसा करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस तरह से माकपा विरोधी दलों के हाथ मजबूत करने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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गौरतलब है कि हाल में कांति गांगुली, तन्मय भट्टाचार्य व अंजंता बिस्वास समेत कई नेताओं ने पार्टी विरोधी बयान दिए हैं। माकपा पूर्वतया अजंता के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है। माकपा ने पोलितब्यूरो के सदस्य रहे अनिल बिस्वास की बेटी अजंता को उनके लेखों के लिए छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है। रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में इतिहास पढ़ाने वाली अजंता ने तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र में प्रकाशित अपने लेख में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राजनीतिक जीवन के बारे में विस्तार से लिखा और सिंगुर में आंदोलन को गण बिखोभ (जन आंदोलन) कहा, जिससे सियासी पारा चढ़ गया। माकपा नेताओं ने कहा कि व्यक्त किए गए विचार पार्टी लाइन के अनुरूप नहीं थे। माकपा ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया।

सूत्रों ने कहा कि कारण बताओ नोटिस के जवाब में अजंता ने लेखों के लिए खेद व्यक्त किया, लेकिन पार्टी संतुष्ट नहीं हुई और उनके खिलाफ कार्रवाई कर उदाहरण पेश करने की कोशिश की है।गौरतलब है कि बंगाल में माकपा दिन-ब-दिन अपनी सियासी जमीन खोती जा रही है। ऐसे में उसका संगठन में बिखरने लगा है पार्टी में बगावत के सुर भी तेज होने लगे हैं इसलिए माकपा कड़ा कदम उठाने जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में माकपा समेत किसी भी वामदल को एक भी सीट नसीब नहीं हो पाई। बंगाल विधानसभा चुनाव के इतिहास में यह पहला मौका है जब विधानसभा में माकपा का एक भी प्रतिनिधि नहीं है। 


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