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Bengal Chunav: बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल को सत्ता के लिए पार करनी होगी गहरी ‘नदिया’

Bengal Chunav उत्तर 24 परगना जिले की तरह ही नदिया में भी मतुआ समुदाय बड़ा वोट फैक्टर है। इसलिए तृणमूल और भाजपा दोनों की ही उसपर निगाहें हैं। जबर्दस्त बहुमत के बावजूद 2016 में तृणमूल को यहां हुआ था घाटा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 11:25 AM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 11:25 AM (IST)
Bengal Chunav: बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल को सत्ता के लिए पार करनी होगी गहरी ‘नदिया’
जबर्दस्त बहुमत के बावजूद 2016 में तृणमूल को यहां हुआ था घाटा

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। Bengal Chunav बंगाल विधानसभा चुनाव में नदिया अहम जिला है। बांग्लादेश से सटे इस जिले को धर्म व अध्यात्म की धरती कहा जाता है। यह चैतन्य महाप्रभु की जन्मस्थली है। नवद्वीप धाम मायापुर में ही इंटरनेशनल सोसायटी आफ कृष्णा कांशियसनैस (इस्कान) का मुख्यालय है। चुनावी माहौल बन चुका है। हालांकि लोग खुली चर्चा से परहेज कर रहे हैं। वह भी तब जब कोई अनजान हो। राणाघाट लोकसभा क्षेत्र के प्याराडांगा इलाके में रहने वाले विश्वनाथ सरकार नामक एक सामान्य वोटर से जब चुनावी हवा को लेकर पूछा तो उसने धीरे से कहा कि इस बार शासन करने वालों की हवा टाइट है।

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पिछले माह तृणमूल के जिला उपाध्यक्ष पार्थ चक्रवर्ती भाजपा में शामिल हो गए हैं। कई और नेता भाजपा में गए हैं। इसका असर दिख रहा है। समझ जाइए कि हालत क्या है? वैसे, तृणमूल को तीसरी बार बंगाल की सत्ता हासिल करने के लिए गहरी ‘नदिया’ पार करनी होगी। नदिया सूबे का वह जिला है, जहां पिछले विस चुनाव में जबर्दस्त बहुमत हासिल करने के बावजूद तृणमूल की सीट कम हुई थीं। 2011 के चुनाव में तृणमूल ने यहां की 17 में से 13 सीटों पर कब्जा जमाया था, जबकि पिछले विस चुनाव में यहां उसकी सीट की संख्या घटकर 12 हो गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सत्ताधारी दल को यहां अपनी एक महत्वपूर्ण सीट गंवानी पड़ी।

राणाघाट सीट पर भाजपा सेंधमारी करने में सफल रही। जगन्नाथ सरकार ने वहां तृणमूल की रूपाली विश्वास को दो लाख से अधिक वोटों के अंतर से मात दी थी। 2016 में भाजपा यहां एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। कांग्रेस को तीन और गठबंधन में उसके साङोदार वाममोर्चा को दो सीटें मिली थीं। पिछले विस चुनाव में कई जिलों में कांग्रेस व वाममोर्चा का सूपड़ा साफ हो गया था, लेकिन नदिया में दोनों को आक्सीजन मिली इसलिए कांग्रेस- वाममोर्चा गठबंधन इस जिले में इस बार अच्छे प्रदर्शन को लेकर काफी आशावादी हैं। हालांकि, कांग्रेस के कद्दावर नेता शंकर सिंह के तृणमूल में शामिल हो जाने के बाद से हालात यह है कि कांग्रेस का जिले में संगठन ही नहीं बचा है।

महुआ मोइत्र पर तृणमूल की जिम्मेदारी

जिले में तृणमूल की नैया खेने की जिम्मेदारी कृष्णनगर से पार्टी सांसद महुआ मोइत्र पर होगी। महुआ तृणमूल की फायर ब्रांड नेताओं में से एक हैं। कृष्णनगर से दो बार तृणमूल सांसद रहे टालीवुड अभिनेता तापस पाल के अस्वस्थ होने के कारण तृणमूल ने महुआ को पिछले लोकसभा चुनाव में वहां से टिकट दिया था। महुआ सांसद होने के साथ-साथ जिले में पार्टी का सांगठनिक कामकाज भी देख रही हैं। वहीं, भाजपा ने इलाके में लोकप्रिय जगन्नाथ सरकार को मोर्चे पर लगा रखा है। बेहद सक्रियता से वह पार्टी का झंडा बुलंद करने में लगे हुए हैं।

मतुआ समुदाय बड़ा फैक्टर

उत्तर 24 परगना जिले की तरह ही नदिया में भी मतुआ समुदाय बड़ा वोट फैक्टर है। इसलिए तृणमूल और भाजपा, दोनों की ही उसपर निगाहें हैं।

परिवर्तन यात्र की शुरुआत

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने परिवर्तन यात्र की शुरुआत के लिए चैतन्य महाप्रभु की धरती नवद्वीप को ही चुना था।


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