Bengal Chunav: निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक मतदान अवधि में तृणमूल कार्यकर्ताओं की हिरासत के आदेश दे रहे हैं: ममता
बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने शनिवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग के तीन विशेष पर्यवेक्षक मतदान के दौरान तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के आदेश पुलिस अधिकारियों को दे रहे थे।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने शनिवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग के तीन विशेष पर्यवेक्षक मतदान के दौरान तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के आदेश पुलिस अधिकारियों को दे रहे थे। उन्होंने कहा कि इस तरह की साजिशों के खिलाफ चुनाव के बाद वह उच्चतम न्यायालय जाएंगी। बीरभूम के बोलपुर स्थित गीतांजलि सभागार में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि वह चुप नहीं बैठ सकतीं भले ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, 'बहुत हुआ। अगर वे (निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए काम कर रहे हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन वे तो सिर्फ भाजपा की मदद के लिए काम कर रहे हैं। वे तृणमूल को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ विशेष पर्यवेक्षकों की कथित चैट का विवरण दिखाते हुए कहा, 'ये अधिकारी हमारे लोगों को चुनाव से पहले की रात को हिरासत में लेने और उन्हें चुनाव के दिन शाम चार बजे तक कब्जे में रखने के आदेश दे रहे हैं। व्हाट्सएप पर हुई इस बातचीत का विवरण भाजपा के लोगों ने मुझे दिया है। ममता ने कहा कि उनकी पार्टी, इसे बर्दाश्त नहीं करेगी और चुनाव के बाद ऐसी साजिश और पक्षपातपूर्ण रुख के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
'70 से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी भाजपा
ममता ने दावा किया कि हालांकि ये तीन सेवानिवृत्त लोग चुनाव को प्रभावित नहीं कर पाएंगे। उनके पक्षपातपूर्ण आचरण से भाजपा को सिर्फ सात-आठ सीटें जीतने में मदद मिलेगी। उन्होंने साथ ही कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से मानती हूं कि भाजपा 70 सीटों से ज्यादा नहीं जीत पाएगी।
इससे पहले ट्वीट कर भी ममता ने पर्यवेक्षकों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि मेरे पास उनके खिलाफ सभी सबूत हैं। मैं सुप्रीम कोर्ट जाऊंगी। ममता ने राज्य में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि को लेकर भी निर्वाचन आयोग को आड़े हाथों लिया और कहा कि इसकी वजह चुनाव संबंधी कार्यों के लिए लाखों लोगों की एक जिले से दूसरे जिले आवाजाही है।