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Bengal Chunav: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नहले पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दहला

Bengal Assembly Elections 2021 ममता और शाह दोनों ने ही राजवंशियों और मतुआ के मन को जीतने की कोशिश में है। यह देखने वाली बात होगी कि अपने मकसद में कौन कामयाब होते हैं.. ममता या फिर शाह..?

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 16 Feb 2021 09:50 AM (IST)Updated: Tue, 16 Feb 2021 12:42 PM (IST)
Bengal Chunav: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नहले पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दहला
तीखे तेवर : ममता बनर्जी। फाइल, चुनावी सभा में घोषणाएं : अमित शाह। फाइल

कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। बंगाल में आमतौर पर सुशासन- कुशासन, विकास, अत्याचार, हिंसा, अन्याय, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर सियासी पार्टियां चुनावी मैदान में उतरती रही हैं। परंतु इस बार स्थिति बदल गई है और बिहार-उत्तर प्रदेश की तरह जातीय समीकरण साधकर चुनावी बाजी जीतने की कोशिश की जा रही है। एक ओर तृणमूल कांग्रेस से दूर चले गए मतुआ, आदिवासी, राजवंशी, बाउड़ी और बागदी जैसे समुदायों को लोकलुभावन घोषणाओं के जरिये मुख्यमंत्री ममता बनर्जी साधने की कोशिश में हैं, तो वहीं भाजपा नेता भी इन समुदायों को रिझाने में लगे हैं।

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राजवंशी और मतुआ समुदाय को अपने पाले में लाने के लिए ममता उनके आर्थिक और सामाजिक विकास की बातें कहकर उनका दिल जीतने की कोशिश कर रही हैं तो भाजपा भी वही कर रही है। ममता ने इन समुदायों के पूज्य प्रमुखों की जयंती पर सरकारी छुट्टी घोषित कर दी है। उनके नाम पर सांस्कृतिक बोर्ड, कॉलेज और विश्वविद्यालयों के नाम जैसी कई घोषणाएं की थी, ताकि चुनाव में उनका वोट मिल सके। पर पिछले सप्ताह भाजपा के कद्दावर नेता व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजवंशियों और मतुआ समुदाय के गढ़ में जनसभा कर घोषणाओं की जो झड़ी लगाई, उसे ममता के नहले पर दहला माना जा रहा है।

राजवंशी और मतुआ समुदाय की बंगाल में इतनी आबादी है कि दोनों को मिला दें तो इनका प्रभाव सूबे की करीब 90 विधानसभा सीटों पर है। वर्ष 2016 विधानसभा चुनाव तक इन समुदायों का वोट तृणमूल कांग्रेस को मिल रहा था। परंतु पिछले लोकसभा चुनाव में राजवंशी और मतुआ वोट धीरे से भाजपा की ओर खिसक गया। नतीजन राजवंशी समुदाय के प्रभाव वाले उत्तर बंगाल के कूचबिहार, अलीपुरद्वार, उत्तर दिनाजपुर, मालदा, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग के समतल इलाकों में तृणमूल का खाता तक नहीं खुल सका। वहीं मतुआ के प्रभाव वाले दक्षिण बंगाल की बनगांव और राणाघाट लोकसभा जैसी सीटें भी भाजपा की झोली में चली गई।

यही वजह है कि ममता ने पिछले दो वर्षो में कई बार उत्तर बंगाल का दौरा कर राजवंशियों के लिए एक के बाद एक कई घोषणाएं कीं। कूचबिहार में नारायणी और आदिवासी इलाके में जंगलमहल पुलिस बटालियन बनाने, पांच-पांच करोड़ रुपये से बागदी- बाउड़ी और दस करोड़ रुपये से मतुआ कल्चरल बोर्ड भी बनाने की बातें कही। राजवंशियों से लेकर मतुआ, आदिवासी, बागदी तथा बाउड़ी समुदाय को ममता ने साधने का पूरा प्रयास किया था। लेकिन एक ही झटके में ममता की रणनीति पर अमित शाह ने पानी फेर दिया।

शाह ने कूचबिहार जिले के ऐतिहासिक रासमेला मैदान में सभा कर राजवंशी समुदाय के लिए और बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर दीं। उन्होंने मुगलों को कूचबिहार में रोकने वाली राजवंशियों की नारायणी सेना के नाम पर केंद्रीय अर्धसैनिक बल में नई बटालियन गठित करने, कूचबिहार साम्राज्य के राजा नर नारायण के छोटे भाई चिला रॉय के नाम पर पूर्वी जोन के केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ट्रेनिंग सेंटर का नाम रखने की घोषणा की। बंगाल की सत्ता में आते ही 500 करोड़ रुपये की लागत से राजवंशी सांस्कृतिक केंद्र, टूरिस्ट सíकट और 250 करोड़ रुपये की लगात से पंचानन वर्मा स्मारक केंद्र में उनकी मूíत स्थापित करने का भी एलान कर दिया।

दरअसल, राजवंशी समुदाय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) चाहता है, ताकि वहां रहने वाले घुसपैठियों को निकाला जा सके। यही प्रमुख वजह रही है कि पिछले लोकसभा चुनाव में राजवंशियों का वोट भाजपा को मिला था। उत्तर बंगाल सहित इससे सटे असम के कुछ जिलों में भी राजवंशी समुदाय का प्रभाव है। असम में भी चुनाव है। ऐसे में शाह ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। वहीं ममता ने जो मतुआ जैसे शरणाíथयों को जमीन पट्टा, राशन कार्ड से लेकर अन्य सभी सरकारी सुविधाएं देने की घोषणा कर अपनी ओर आकर्षति करने का प्रयास किया था, उसकी भी शाह ने हवा निकाल दी।

उन्होंने मतुआ समुदाय को नागरिकता देने के लिए संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) लागू करने की बात कही, तो साथ में भरोसा दिया कि बंगाल में भाजपा की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री शरणार्थी कल्याण योजना, मतुआ समाज के बुजुर्गो के लिए पेंशन, युवाओं के लिए छात्रवृत्ति व अन्य योजनाएं भी लागू करेंगे। साथ ही ठाकुरनगर रेलवे स्टेशन का नाम श्रीधाम ठाकुरनगर किया जाएगा। केंद्र द्वारा इसे टूरिस्ट सíकट के रूप में विकसित किया जाएगा। 

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, कोलकाता]


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