Move to Jagran APP

Bengal Chunav 2021: उत्तर दिनाजपुर के ग्वालपोखर में इस बार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव में खड़े हैं दो सगे भाई

तृणमूल के विधायक व मंत्री गुलाम रब्बानी के खिलाफ भाजपा ने उनके ही भाई गुलाम सरवर को मैदान में उतारा विधायक ने कहा- अब परिवार भी तोड़ने लगी भाजपा दूसरी ओर मतदाताओं के सामने भी असमंजस की स्थिति

By Priti JhaEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 02:39 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 03:18 PM (IST)
Bengal Chunav 2021: उत्तर दिनाजपुर के ग्वालपोखर में इस बार एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव में खड़े हैं दो सगे भाई
ग्वालपोखर से भाजपा के उम्मीदवार सरवर हुसैन और तृणमूल प्रत्याशी गुलाम रब्बानी।

उत्तर दिनाजपुर, रंजीत यादव। उत्तर दिनाजपुर के ग्वालपोखर में इस बार एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोंक रहे दो सगे भाइयों ने चुनावी मुकाबले को और भी दिलचस्प बना दिया है। इनमें तृणमूल के प्रत्याशी गुलाम रब्बानी वर्तमान में इसी सीट से विधायक होने के साथ-साथ ममता सरकार में मंत्री भी हैं। वहीं, दूसरी ओर उनके भाई गुलाम सरवर हुसैन भाजपा की ओर से उम्मीदवार हैं। भाजपा द्वारा सरवर हुसैन को उम्मीदवार बनाए जाने से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार गुलाम रब्बानी की परेशानी भले ही बढ़ गई हो, लेकिन बातचीत मे गुलाम रब्बानी इसे स्वीकार नहीं करते।

prime article banner

उनका दावा है कि वह पहले की तुलना में इस बार रिकॉर्ड वोट से जीतेंगे। गुलाम रब्बानी ने कहा कि भाजपा ने उनके भाई को उम्मीदवार बनाकर यह साबित कर दिया है कि भाजपा केवल जाति-धर्म की ही राजनीति नहीं करती, बल्कि परिवार तोड़ने की भी राजनीति करती है।

गुलाम दो बार विधायक रह चुके है और अभी ममता सरकार में श्रम राज्य मंत्री हैं। वहीं, उनके छोटे भाई सरवर हुसैन पिछले साल नवंबर महीने में भाजपा में शामिल हुए और सक्रिय राजनीति में आए। दोनों के पिता स्वर्गीय इमाज़ुद्दीन भी राजनीति में सक्रिय थे। लंबे समय तक वहा कांग्रेस में थे। दोनों भाइयों के मुख्य विपक्षी पार्टियों से एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने के कारण ग्वालपोखर के लोगों और इनके समर्थकों में थोड़ी दुविधा भी है। अक्सर क्षेत्र के विभिन्न चौक-चौराहों, चाय की दुकानों आदि पर पर यह चर्चा चलती रहती है। दो भाइयों के बीच चुनावी लड़ाई ने उनके खुद के परिवार के सदस्यों के सामने भी दुविधा की स्थिति ला दी है।

पारिवारिक सूत्रों के अनुसार गुलाम रब्बानी पांच भाई हैं। इसमें सबसे छोटे गुलाम सरवर हैं। सरवर के साथ एक और भाई गुलम हैदर हैं। दूसरी ओर गुलाम रब्बानी के साथ उनके एक भाई गुलम रसूल हैं। वर्तमान में वह तृणमूल के ब्लॉक अध्यक्ष हैं। परिवार के सबसे बड़े भाई गुलाम यजदानी अभी भी किसी के पक्ष में नहीं हैं। दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक लड़ाई को लेकर मतदाताओं के बीच चर्चा चल रही है।

गुलाम सरवर कहते हैं कि भैया से उनकी कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है, बल्कि तृणमूल कांग्रेस द्वारा आम आदमी के उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के खिलाफ वह चुनाव लड़ रहे हैं। उधर,गुलाम रब्बानी तृणमूल कांग्रेस पर लगाए गए सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहते हैं कि भाजपा ने उनके भाई को उनके खिलाफ उतार कर यह साबित किया है कि वह परिवारतोड़ पार्टी भी है। गुलाम रब्बानी के एक और भाई और तृणमूल कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष गुलाम रसूल ने कहा कि भाजपा का काम ही है सब जगह झोल झमेला खड़ा करना। यह सब करके भाजपा को कोई फायदा नहीं होनेवाला। दो मई को यह साबित हो जाएगा कि मतदाताओं ने इन दोनों भाइयों में किसे चुना।

इस सीट से तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के अलावा कांग्रेस से नसीम एहसान चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, बहुजन समाज पार्टी से सुनील विश्वास, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) से नवीन चंद्र सिंह मौदान में हैं। इनके अलावा रघुनाथ सिंह और शंभू लाल राय निर्दलीय इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं । 2011 के चुनावों में, गुलाम रब्बानी ने कांग्रेस के टिकट पर ग्वालपोखर सीट जीती और तृणमूल में शामिल हो गए। 2016 के चुनावों में तृणमूल उम्मीदवार गुलाम रब्बानी को 64,796 वोट मिले। कांग्रेस को 56,992 और भाजपा को 16,966 वोट मिले थे। पिछले लोकसभा चुनावों में, तृणमूल को ग्वालपोखर निर्वाचन क्षेत्र से 79,682 वोट मिले, सीपीएम को 30,078 और भाजपा को 31,491 वोट मिले। इस बार देखना है कि ऊंट किस करवट बैठता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.