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Bengal Chunav 2021: सिर्फ मतदान के दौरान बरती जा रही सावधानी, रैलियों में ताक पर कोरोना संबंधी नियम

बंगाल विस चुनाव के चौथे चरण के मतदान के लिए बूथों पर कोरोना से बचाव को फुलप्रूफ उपाय किए गए। शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुए कतार में लगे लोगों ने मुंह पर मास्क लगाया। बूथ पर सैनिटाइजर के भी इंतजाम थे।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 07:01 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 07:01 PM (IST)
Bengal Chunav 2021: सिर्फ मतदान के दौरान बरती जा रही सावधानी, रैलियों में ताक पर कोरोना संबंधी नियम
चुनावी रैलियों के लिए तो जैसे सबकुछ माफ है। न कहीं मास्क है और न दो गज की दूरी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल विस चुनाव के चौथे चरण के मतदान के लिए बूथों पर कोरोना से बचाव को फुलप्रूफ उपाय किए गए। शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते हुए कतार में लगे लोगों ने मुंह पर मास्क लगाया। बूथ पर सैनिटाइजर के भी इंतजाम थे। और तो और, मतदाताओं को ग्लव्स भी दिए दिए ताकि ईवीएम का बटन दबाते वक्त उंगलियों का उससे सीधा संपर्क न हो लेकिन इसके विपरीत चुनावी रैलियों के लिए तो जैसे सबकुछ माफ है। न कहीं मास्क है और न दो गज की दूरी। तो क्या कोरोना के खिलाफ जंग ऐसे ही जीती जाएगी?

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मतदान के दौरान कोरोना संबंधी स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन हो रहा लेकिन दो दिन पहले तक यही मतदाता चुनावी रैलियों में भी उमड़े थे। चाहे जिस भी पार्टी की रैली हो, कोरोना संबंधी स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का मखौल बनाया जा रहा है। इंटरनेट मीडिया पर ऐसे मीम्स और जोक वायरल हो रहे हैं कि कोरोना को डर सिर्फ चुनावों से लगता है, चुनावी रैलियों को ये छूता भी नहीं है। रैलियों में नियमों की उड़ रही धज्जियां यही बताती है कि महामारी को लेकर हम खुद को धोखा दे रहे हैं। देश में कोरोना की नई प्रचंड लहर के मद्देनजर तमाम राज्य फिर से सख्ती कर रहे हैं। कहीं नाइट कफ्र्यू तो कहीं दफ्तरों में वर्कफोर्स पर कैंची के फरमान।

कहीं वीकेंड लॉकडाउन तो कहीं स्थानीय स्तर पर पूर्ण लॉकडाउन। स्कूल बंद हैं, कोचिंग बंद हैं। जलसों पर पाबंदी है। शादी-विवाह जैसे समारोहों और अंतिम संस्कार में शामिल लोगों की अधिकतम संख्या तय की गई है। नियमों के उल्लंघन पर मामले दर्ज हो रहे हैं। मास्क नहीं लगाने या ठीक से नहीं लगे होने पर कुछ जगहों पर सरेआम बेइज्जत किया जा रहा है, पीटा जा रहा है। पिटने और प्रताडि़त होने वाला जब चुनावी राज्यों को देखता होगा तो उसके जख्म और बढ़ जाते होंगे। चुनावी राज्यों में तो जैसे कोरोना का कोई खतरा ही नहीं है। नियमों को ठेंगे पर रखकर रैलियों में लोगों का रेला उमड़ रहा है। न नेता नियमों को मान रहे हैं और न उनके समर्थक।

नियमों के सख्ती से पालन नहीं होने की वजह से ही दूसरी लहर दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है। तो क्या चुनावी राज्यों में नियमों की उड़ रही धज्जियों से अन्य राज्यों के लोगों में लापरवाही के भाव नहीं आएंगे? कोरोना  के लगातार बढ़ते मामलों के बीच चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना नियमों की धज्जियां उडऩे पर दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को सख्त नाराजगी जताई। हाईकोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर पूछा कि रैलियों में लोग बिना मास्क के क्यों नजर आ रहे हैं? कोर्ट ने दो टूक कहा कि रैलियों में लोगों का मास्क पहनना सुनिश्चित किया जाए। हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद चुनाव आयोग ने फरमान जारी किया कि चुनाव प्रचार के दौरान कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं हुआ तो कड़ी कार्रवाई होगी। रैलियों पर रोक लगाई जा सकती है।

उम्मीदवारों व स्टार प्रचारकों के चुनाव प्रचार करने पर रोक लगाई जा सकती है। आयोग के सख्त फरमान के बाद भी बंगाल के चुनाव प्रचार में पहले जैसा ही नजारा है लेकिन न अब तक किसी नेता की रैली पर रोक लगाई गई है और न ही किसी पार्टी ने आयोग से इस बारे में कोई शिकायत की है।


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