बंगाल के भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पार्टी में बढ़ती नाराजगी के बीच सभी प्रकोष्ठों और विभागों को किया भंग
पिछले साल विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही बंगाल भाजपा में कुछ ठीक नहीं चल रहा। कई नेता और विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें मुकुल राय से लेकर बाबुल सुप्रियो तक शामिल हैं। कोलकाता नगर निगम चुनाव के नतीजों ने पार्टी का मनोबल और गिरा दिया था।
राज्य ब्यूरो,कोलकाताः बंगाल भाजपा के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पार्टी नेताओं में बढ़ती नाराजगी के बीच राज्य में पार्टी के सभी विभागों और प्रकोष्ठों को भंग कर दिया। बंगाल भाजपा के 35 विभाग और 15 प्रकोष्ठ हैं। इनमें कानून विभाग और शरणार्थी प्रकोष्ठ शामिल हैं। बंगाल भाजपा ने एक बयान में कहा कि सुकांत मजूमदार के निर्देशानुसार, सभी विभाग और प्रकोष्ठ तब तक के लिए भंग किए जाते हैं जब तक उनका पुनर्गठन नहीं हो जाता और नई नियुक्तियां नहीं हो जाती है।
यह कदम बंगाल में असंतुष्ट भाजपा नेताओं की ओर से पार्टी की राज्य इकाई से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए शनिवार को एक मीटिंग करने के फैसला के बाद उठाय गया है। पार्टी सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट गेस्ट हाउस में होने वाली बैठक में बड़ी संख्या में नेता शामिल होंगे, जिन्होंने हाल ही में भाजपा की नई राज्य समिति से बाहर होने के बाद पार्टी के आधिकारिक वाट्सऐप ग्रुप को छोड़ दिया था।
पिछले दिनों भाजपा की प्रदेश और जिला इकाई में सांगठनिक फेरबदल के बाद से प्रदेश नेतृत्व से नाराज नेताओं के वाट्सऐप ग्रुप छोड़ने का सिलसिला जारी था। एक के बाद एक नेताओं के पार्टी का वाट्सऐप ग्रुप छोड़ने से भगवा खेमे में चिंता बढ़ती रही थी। भाजपा के बनगांव संगठनात्मक जिले के पांच विधायकों ने भी वाट्सऐप ग्रुप छोड़ दिया था, जो मतुआ समुदाय से थे।
मतुआ समुदाय के एक नेता और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी पार्टी के वाट्सऐप ग्रुप छोड़ा था। उन्होंने राज्य पदाधिकारियों की नवगठित समिति पर निराशा व्यक्त करते हुए यह कदम उठाया था। समिति से निकाले जाने के विरोध में पिछले महीने पार्टी के पांच विधायकों ने वाट्सऐप ग्रुप छोड़ दिया था।
दरअसल पिछले साल विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही बंगाल भाजपा में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कई नेता और विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। इनमें मुकुल राय से लेकर बाबुल सुप्रियो तक शामिल हैं। कोलकाता नगर निगम चुनाव के नतीजों ने पार्टी का मनोबल और गिरा दिया था। इसके बाद बंगाल में पार्टी की नई प्रदेश कमिटी का गठन और संगठनात्मक जिलों के नए अध्यक्षों की लिस्ट जारी की गई थी। इसके बाद से ही नेताओं के वाट्सऐप ग्रुप छोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ था।