ममता सरकार और राजभवन के बीच जारी टकराव के बीच राज्यपाल से मिले विधानसभा अध्यक्ष, एक घंटे तक चली बैठक
ममता सरकार और राजभवन के बीच विभिन्न मुद्दों पर जारी टकराव के बीच बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने शुक्रवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ से जाकर मुलाकात की। राज्यपाल ने विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष को बैठक के लिए बुलाया था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : ममता सरकार और राजभवन के बीच विभिन्न मुद्दों पर जारी टकराव के बीच बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने शुक्रवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ से जाकर मुलाकात की। राज्यपाल ने विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए विधानसभा अध्यक्ष को बैठक के लिए बुलाया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष राजभवन में उनसे शाम करीब चार बजे मिलने पहुंचे।
राज्यपाल ने खुद ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष के साथ बैठक की तस्वीर भी साझा की और कहा कि दोनों ने एक घंटे से ज्यादा समय तक विभिन्न मुद्दों पर विचार- विमर्श किया और जनहित के कार्य के लिए संवैधानिक संस्थानों के बीच तालमेल बिठाने की जरूरत पर बल दिया। हालांकि बैठक के दौरान किन- किन मुद्दों पर चर्चा हुई इसका खुलासा नहीं किया गया है।
वहीं, सूत्रों का कहना है कि हाल में विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप में भाजपा छोड़कर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने वाले मुकुल राय की नियुक्ति के मुद्दे पर दोनों के बीच विस्तार से चर्चा हुई। इसके अलावा विधानसभा द्वारा पारित होने के बावजूद कई विधेयक जो राज्यपाल के पास अटके हुए हैं, उस पर भी दोनों के बीच चर्चा की संभावना है।
दरअसल, मुकुल की नियुक्ति को लेकर भाजपा लगातार हमलावर है और राज्य सरकार को घेर रही है, क्योंकि पीएसी अध्यक्ष का पद आमतौर पर विपक्षी दल के ही किसी विधायक को दिया जाता है। लेकिन भाजपा की आपत्ति के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने मुकुल को पीएसी का अध्यक्ष बना दिया।
विधानसभा अध्यक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष से की थी शिकायत
बताते चलें कि राज्यपाल व विधानसभा अध्यक्ष के बीच ऐसे समय में मुलाकात हुई है जब हाल में ही बिमान बनर्जी ने संसदीय लोकतंत्र से जुड़े मामलों और सदन के कामकाज में ‘अत्यधिक दखलअंदाजी’ को लेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से धनखड़ की शिकायत की थी। विधानसभा अध्यक्ष ने वर्चुअल रूप से आयोजित ‘ऑल इंडिया स्पीकर्स कांफ्रेंस’ के दौरान राज्यपाल की शिकायत की थी। बनर्जी ने कहा था कि विधानसभा द्वारा पारित होने के बावजूद कई विधेयक राज्यपाल के पास अटके हुए हैं क्योंकि उन्होंने उन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। बंगाल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में यह अभूतपूर्व है। ऐसी स्थिति पहले कभी पैदा नहीं हुई है।