Bengal Assembly Elections 2021: बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले अब पिछड़े वर्ग पर टीएमसी की नजर
Bengal Assembly Elections 2021 टीएमसी रणनीति- अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया है। समितियों के प्रमुख के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों से नेताओं को नियुक्त किया है।विधानसभा चुनाव से पहले अब पिछड़े वर्ग पर तृणमूल की नजर है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। विधानसभा चुनाव से पहले अब पिछड़े वर्ग पर तृणमूल (टीएमसी) की नजर है। भाजपा हिंदू वोट पाने के लिए बेताब है। हालांकि, टीएमसी भी उस वोट बैंक को तोड़ने की तैयारी कर रही है। टीएमसी ने समाज के पिछड़े वर्गों के वोटों को आकर्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, पार्टी ने अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया है। यही नहीं, यह पहली बार है जब पार्टी की ओर से लिखित में समिति के सदस्यों के नामों का उल्लेख किया गया है। सियासी जानकारों को लगता है कि उनका यह कदम राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है।
रविवार को जारी एक बयान में, तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए अलग-अलग समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों के प्रमुख के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों से नेताओं को नियुक्त किया गया है। ताकि पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ संचार को और बढ़ाया जा सके। इस दिन, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समिति के सदस्यों की सूची प्रकाशित की गई है।
सूची के अनुसार, डॉ तापस मंडल को अनुसूचित जाति समिति का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रतिमा मंडल, असित कुमार मंडल, नवीन चंद्र बाग हैं। समिति में छाया दोलोई, स्वपन बाउड़ी, मानोदेव सिन्हा सहित कई सदस्य हैं। पूर्व बर्द्धमान के देबू टुडू अनुसूचित जनजाति समिति के प्रमुख हैं। समिति केे अन्य सदस्यों में जेम्स कुजूर, सुकुमार महतो, परेश मुर्मू, जोसेफ मुंडा और कई शामिल हैं। इस चुनाव में भगवा ने अलग-अलग समुदायों के वोटों को साधने के लिए अलग-अलग तरीके से रणनीति बनाई है।