Bengal Assembly Elections 2021: सियासी हिंसा के लिए कुख्यात बंगाल में चुनाव आयोग की चिंता जायज
उप चुनाव आयुक्त ने डीएम-एसपी की बैठक में चेतावनी दी कि प्रदेश में किसी तरह की अराजकता और पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आयोग का कहना है कि प्रदेश में ऐसा माहौल बनाने के लिए वह प्रतिबद्ध है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सियासी हिंसा के लिए कुख्यात बंगाल में आगामी कुछ माह में विधानसभा चुनाव होना है। इस बार शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और निर्बाध मतदान संपन्न कराना आयोग के लिए बड़ी चिंता का विषय है। इसीलिए आयोग का पूरा ध्यान राज्य की कानून-व्यवस्था पर अधिक दिख रहा है।
एक माह के भीतर दूसरी बार बंगाल दौरे पर आए उप निर्वाचन आयुक्त सुदीप जैन ने डीएम और एसपी से हर सप्ताह कानून-व्यवस्था और हिंसा को लेकर आयोग को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। दो दिनों की यात्र के दौरान जैन ने बंगाल के प्रशासनिक और पुलिस के आला अधिकारियों के साथ लगातार दूसरे दिन भी बैठक की।
गुरुवार को उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी, स्वास्थ्य, शिक्षा, नारी और शिशु कल्याण विभाग के सचिवों के साथ बैठक की। इससे पहले बुधवार को उन्होंने राज्य के सभी जिलों के डीएम एवं एसपी के साथ चुनाव तैयारी की समीक्षा की थी। मतदाता सूची के प्रकाशन से ठीक पहले उप चुनाव आयुक्त का यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि बहुत जल्द ही चुनाव आयोग की पूरी पीठ बंगाल के दौरे पर आने वाली है। संकेत मिल रहे हैं कि फरवरी के मध्य तक चुनाव का एलान होने के साथ-साथ अधिसूचना भी जारी हो जाएगी, परंतु यहां सबसे बड़ा सवाल राजनीतिक हिंसा को लेकर है? भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक पर हमले हो चुके हैं। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस तरह से सियासी तापमान बढ़ रहा है उससे हिंसा की आशंका गहराती जा रही है।
भाजपा पहले से ही मांग कर रही है कि चुनाव से पहले ही बंगाल में केंद्रीय बल तैनात किए जाएं। माना जा रहा है कि सुदीप जैन ने जिलों से कानून-व्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट इसी संदर्भ ली है कि क्या सही में हालात अच्छे नहीं हैं। इतना ही नहीं उप चुनाव आयुक्त ने डीएम-एसपी की बैठक में चेतावनी दी कि प्रदेश में किसी भी तरह की अराजकता और पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अगर जरूरत पड़ी तो आयोग ड्यूटी पर मौजूद प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी कर सकता है। आयोग की ओर से संकेत दिए गए हैं कि बंगाल में चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की अब तक की सबसे बड़ी तैनाती भी हो सकती है। आयोग का कहना है कि लोग डर के बिना अपने घरों से बाहर आ सकें और अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।