Bengal Assembly Election : नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का मकसद भूमि आंदोलन का सम्मान करना था : ममता
-बंगाल की मुख्यमंत्री ने बदले सुर कहा- पीएम और गृहमंत्री को नहीं किराये के गुंडों को कहा बाहरी। ममता ने कहा था कि बंगाल को राजनीति के गुजरात ब्रांड की जरूरत नहीं है। इसे पीएम मोदी और शाह पर निशाने की तरह देखा गया था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि नंदीग्राम से उनका चुनाव लड़ने का मकसद भूमि आंदोलन का सम्मान करना था।इसके साथ ही ममता ने कहा कि उन्होंने बंगाल में तैनात किए गए लाखों गुंडों और बंदूकधारियों को बाहरी कहा था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया था। ममता बनर्जी ने एक टीवी निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में यह बात कही।
अगर मुझे भरोसा नहीं होता, तो मैं एक ही सीट पर क्यों लड़ती?'
इंटरव्यू के दौरान बनर्जी ने नंदीग्राम सीट पर जीत का दावा किया है। उन्होंने कहा, 'अगर मुझे भरोसा नहीं होता, तो मैं एक ही सीट पर क्यों लड़ती?' उन्होंने कहा, 'वे कितनी ही कोशिश कर लें' भाजपा नंदीग्राम नहीं जीतेगी। सीट से अपने प्रतिद्वंद्वी को 'गद्दार' बताते हुए उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाए हैं। इस दौरान उन्होंने राज्य में दो तिहाई बहुमत का दावा किया है। उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के बीच आठ चरणों में चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग की भी आलोचना की थी।
सीएम बनर्जी के इस बयान पर केंद्रीय गृहमंत्री शाह का पलटवार
उन्होंने 'बाहरी' वाले बयान पर सफाई दी है। राज्य में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही बनर्जी कई बार मंच से 'बाहरी' लोगों की बात कहते हुए नजर आ चुकी हैं। बीते दिनों सीएम बनर्जी के इस बयान पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पलटवार किया था।
पीएम या केंद्रीय गृहमंत्री को बाहरी नहीं कहा, हम ऐसा क्यों करेंगे
इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'हमने प्रधानमंत्री या केंद्रीय गृहमंत्री को बाहरी नहीं कहा। हम ऐसा क्यों करेंगे।हम कहते हैं, ऐसे लोग जो बंगाल में टीएमसी को हराने के लिए तैनात किए गए हैं, बंदूकधारी गुंडे जो कोरोना लेकर भी आए हैं, वे बाहरी हैं। हम उन्हें ऐसा कहना जारी रखेंगे।' सीएम बनर्जी ने कहा, 'बंदूक और गुंडे आपकी संपत्ति नहीं हैं।' कुछ दिनों पहले सीएम ने अपील की थी कि बगैर नेगेटिव आरटी-पीसीआर सर्टिफिकेट वालों को बंगाल में घुसने न दिया जाए।ममता ने कहा था कि बंगाल को राजनीति के गुजरात ब्रांड की जरूरत नहीं है। इसे पीएम मोदी और शाह पर निशाने की तरह देखा गया था।