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West Bengal Election: बंगाल चुनाव में उम्मीदवारों को मीडिया में विज्ञापन देकर कबूल करना होगा अपराध!

West Bengal Assembly Election 2021 चुनाव आयोग ने बंगाल के सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे उन तारीखों को निर्दिष्ट करें जिन पर विधानसभा चुनाव के समय तक नामांकन पत्र जमा करने के समय से विज्ञापन दिया जाना चाहिए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 09:06 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 09:06 PM (IST)
West Bengal Election: बंगाल चुनाव में उम्मीदवारों को मीडिया में विज्ञापन देकर कबूल करना होगा अपराध!
बंगाल विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों को मीडिया में विज्ञापन देकर कबूल करना होगा अपना अपराध। फाइल फोटो

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। West Bengal Assembly Election 2021: अगर किसी उम्मीदवार के खिलाफ कोई आपराधिक मामला चल रहा है तो उसे समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में विज्ञापन देकर इस बारे में सूचित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पिछले लोकसभा चुनाव से ऐसा नियम लागू हुआ है। इस बार चुनाव आयोग इस संबंध में अधिक सख्त है और बंगाल के सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे उन तारीखों को निर्दिष्ट करें, जिन पर विधानसभा चुनाव के समय तक नामांकन पत्र जमा करने के समय से विज्ञापन दिया जाना चाहिए। नियमों के अनुसार, नामांकन पत्र जमा करने के बाद मीडिया को चुनाव प्रचार अभियान के अंत तक कुल तीन बार इस बाबत विज्ञापन देना होगा। उस सूचना को साक्ष्य के साथ आयोग को सूचित करना होगा।

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आयोग के नए दिशानिर्देशों के अनुसार उम्मीदवार के आपराधिक मामले की जानकारी का हवाला देते हुए नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि से चार दिन पहले पहला विज्ञापन दिया जाना चाहिए। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख के पांच से आठ दिनों के भीतर दूसरा विज्ञापन दिया जाना चाहिए और अंतिम विज्ञापन प्रचार अभियान के अंत से पहले नौ दिनों के भीतर दिया जाना चाहिए। राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी आरिज आफताब ने कहा-'यह नियम पिछले चुनाव के बाद से शुरू किया गया है लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि उम्मीदवारों ने तीन बार विज्ञापन दिया है लेकिन कभी-कभी उन्होंने ऐसे दिन पर विज्ञापन दिया है कि मतदाताओं की नजर में नहीं आया, इसीलिए आयोग ने इस बार यह निर्देश जारी किया है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले लोकसभा चुनाव में बंगाल में आधे से अधिक उम्मीदवारों के खिलाफ कई आपराधिक मामले थे। हालिया संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में 6 प्रतिशत विजयी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। वर्तमान और पूर्व सांसदों के खिलाफ कुल 4,442 आपराधिक मामले लंबित हैं। आयोग का उद्देश्य मतदाताओं को सटीक मूल्यांकन करने की सुविधा देना है। 


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