Cyber Crime: इस ऑक्सीमीटर ऐप से रहें सावधान, उंगली स्पर्श करते ही बैंक से गायब हो जा रहे हैं पैसे
बाजार में धड़ल्ले से बेचे जाने वाले विभिन्न कंपनियों के ऑक्सीमीटर की गुणवत्ता को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं। अब बाजार में कई ऑक्सीमीटर एप्स आए हैं जिनमें से अधिकांश नकली हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बाजार में धड़ल्ले से बेचे जाने वाले विभिन्न कंपनियों के ऑक्सीमीटर की गुणवत्ता को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं। अब बाजार में कई ऑक्सीमीटर एप्स आए हैं, जिनमें से अधिकांश नकली हैं। कोविड-19 महामारी से जूझ रही कोलकाता पुलिस के लिए अब यह नई परेशानी खड़ी हो गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार साइबर शाखा में पिछले कुछ दिनों में कई शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें दावा किया गया है कि किसी व्यक्ति ने बैंक से पैसे खोए हैं, यह सोचकर कि इन ऐप्स पर उंगली के छूने से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर मापा जा सकता है। किसी ने शिकायत की है कि व्यक्तिगत फोटो, दस्तावेज चोरी हो गए हैं।
किसी के पैसे गायब तो किसी के दस्तावेज व फोटो
-अलीपुर रोड के एक निवासी ने दावा किया कि ऑक्सीमीटर डिवाइस की खोज करते समय उन्हें एक ऐसे ऑक्सीमीटर मोबाइल ऐप के बारे में पता चला जिससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को मापा जा सकता है। देबांग्शु घोष नामक शख्स ने पुलिस को बताया कि जैसे ही उन्होंने ऐप डाउनलोड किया और इसका उपयोग करना शुरू किया, उनसे कॉल लॉग और फोटो फोल्डर सहित कई चीजों के उपयोग करने की अनुमति मांगी गई। उन्हें यह अन्य एप्स की तरह सामान्य बात लगी। इसके बाद ऐप के निर्देशों के अनुसार फोन की सेटिंग को बदलकर कैमरे पर उंगली के स्पर्श करने के साथ ही फोन बंद हो गया। सेवा केंद्र पर जाने और फोन खोलने के बाद उन्हें एक संदेश मिला कि उनके बैंक खाते से 60,000 रुपये निकाल लिए गए हैं। पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार एक युवती ने दावा किया कि इस तरह के ऐप के इस्तेमाल से उनकी निजी तस्वीर गायब हो गई है। उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की धमकी दी जा रही है। एक स्कूली शिक्षिका ने शिकायत की है कि उनके पति साल्टलेक के सेक्टर पांच में एक निजी कंपनी के कर्मचारी हैं। कंपनी के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज उनके मोबाइल में थे। ऑक्सीमीटर ऐप का उपयोग करते समय सभी जानकारी शेयर हो गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार इस तरह के एप्स पिछले 3 महीने में कोविड-19 के संक्रमण बढ़ने के साथ बाजार में धड़ल्ले से आए हैं। पुलिस ने इसकी जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
ऑक्सीमीटर उपकरण में करें मध्यमा का इस्तेमाल
-कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक अरुणांशु तालुकदार का कहना है कि बाजार में बिकने वाले ऑक्सीमीटर उपकरणों के बारे में कई शिकायतें हैं। हालांकि उन्हें इस तरह के ऐप्स के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि रेडियल धमनियों के माध्यम से अंगूठे और तर्जनी में रक्त का संचालन है जबकि छोटी अंगुली और अनामिका में अल्नार धमनी के मध्यमा से रक्त का संचालन होता है। वहीं मध्यमा में रेडियल तथा अल्नार दोनों धमनियों के माध्यम से रक्त का संचालन होता है। इसीलिए ऑक्सीमीटर के मामले में मध्यमा का उपयोग किया जाना चाहिए।
फर्जी ऑक्सीमीटर एप्स से रहें सावधान
-इंडियन स्कूल ऑफ एंटी-हैकिंग के निदेशक संदीप सेनगुप्ता का कहना है कि यह पूरी तरह फर्जी मामला है। एप्स फर्जी हैं इसीलिए अंगूठे का स्पर्श मांगा जा रहा है। मोबाइल लॉक करते समय उपयोगकर्ता अंगूठे का अधिक उपयोग करते हैं। नतीजतन ऑक्सीजन को मापने के लिए कैमरे में उंगली की तस्वीर लेना आसान होगा। हालांकि उपयोगकर्ताओं को मोबाइल को लॉक करते समय उंगली को छूने के बजाय पिन नंबर का उपयोग करना चाहिए।