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West Bengal Politcs: मोदी-ममता में भाई-बहन जैसा रिश्ता, तोड़ना चाहती है बंगाल भाजपा : अपरूपा

तृणमूल सांसद अपरूपा ने कहा कि मुख्यमंत्री चक्रवात यास को लेकर कलाईकुंडा एयरफोर्स बेस में प्रधानमंत्री के साथ बैठक करना चाहती थीं लेकिन बंगाल भाजपा के नेताओं ने ऐसा नहीं होने दिया क्योंकि भाई-बहन अगर साथ मिलकर काम करेंगे तो वे ओछी राजनीति नहीं कर पाएंगे।

By Priti JhaEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 12:36 PM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 12:40 PM (IST)
West Bengal Politcs: मोदी-ममता में भाई-बहन जैसा रिश्ता, तोड़ना चाहती है बंगाल भाजपा : अपरूपा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के हुगली जिले की आरामबाग लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस सांसद अपरूपा पोद्दार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में भाई-बहन जैसा रिश्ता है, जिसे बंगाल भाजपा तोड़ना चाहती है। सूबे के भाजपा नेता नहीं चाहते कि मोदी-ममता साथ मिलकर बंगाल के कल्याण के लिए काम करें इसलिए वे ओछी राजनीति कर रहे हैं।

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अपरूपा ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री चक्रवात 'यास' को लेकर कलाईकुंडा एयरफोर्स बेस में प्रधानमंत्री के साथ बैठक करना चाहती थीं लेकिन बंगाल भाजपा के नेताओं ने ऐसा नहीं होने दिया क्योंकि भाई-बहन अगर साथ मिलकर काम करेंगे तो वे ओछी राजनीति नहीं कर पाएंगे। तृणमूल सांसद ने कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव हो चुका है। अब कोरोना महामारी और चक्रवात से हुए नुकसान से निपटने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।

बंगाल के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय के दिल्ली तबादले संबंधी पत्र पर अपरूपा ने कहा कि इससे बंगाल के लोगों को बहुत नुकसान होगा क्योंकि वे राज्य में कोरोना महामारी की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए काम कर रहे हैं। इस समय उन्हें दिल्ली बुलाना उचित नहीं है। केंद्र की भाजपा सरकार ने बंगाल विधानसभा चुनाव हारने के बाद राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से यह कदम उठाया है, जिसे बंगाल के लोग स्वीकार नहीं करेंगे। सूबे के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री इसपर विचार करें और इस फैसले को वापस लें।

दूसरी तरफ अपरूपा के बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा की राज्य कमेटी के सदस्य भास्कर भट्टाचार्य ने कहा कि अगर उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भाई-बहन है तो भाई के बुलाने पर बहन को बैठक में शामिल होना चाहिए था। कलाईकुंडा में कोई राजनीतिक कार्यसूची नहीं थी बल्कि प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए बैठक बुलाई गई थी। 


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