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Corona in Bengal: बंगाल में ब्लैक फंगस से एक और मरीज की मौत, मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई सात

ब्लैक फंगस कोरोना से उबर चुके मरीजों में उत्पन्न होने वाली दुर्लभ स्वास्थ्य परिस्थिति है।ब्लैक फंगस प्राकृतिक पर्यावरण में पाया जाता है जो साइनस चेहरे और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। नाक का बंद होना सिर के एक तरफ दर्द होना दांतों में दर्द सूजन होना इसके शुरुआती लक्षण हैं।

By Priti JhaEdited By: Published: Mon, 07 Jun 2021 12:51 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 12:51 PM (IST)
Corona in Bengal: बंगाल में ब्लैक फंगस से एक और मरीज की मौत, मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई सात
बंगाल में ब्लैक फंगस से एक और मरीज की मौत

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में रविवार को म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस से एक और व्यक्ति की मौत के बाद इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर सात हो गई। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।उन्होंने बताया कि वहीं संदिग्ध मामले में भी एक व्यक्ति की मौत हुई है, जिसके बाद ऐसे मृतकों की संख्या बढ़कर 15 हो गई।उन्होंने बताया कि महानगर में दो और लोग इस बीमारी से संक्रमित पाए गए हैं, जिसके बाद इसके कुल मामलों की संख्या बढ़कर 32 हो गई।

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कोरोना से उबर चुके मरीजों में उत्पन्न होने वाली गंभीर बीमारी है ब्लैक फंगस

गौरतलब है कि ब्लैक फंगस कोरोना से उबर चुके मरीजों में उत्पन्न होने वाली एक गंभीर व दुर्लभ स्वास्थ्य परिस्थिति है। ब्लैक फंगस प्राकृतिक पर्यावरण में पाया जाता है, जो साइनस, चेहरे और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। नाक का बंद होना, सिर के एक तरफ दर्द होना, दांतों में दर्द, सूजन होना इसके शुरुआती लक्षण हैं। कुछ मामलों में यह जानलेवा साबित हो सकता है। मधुमेह के मरीजों को विशेष तौर पर सावधानी बरतने की जरूरत है। फोर्टिस हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट सुष्मिता रॉय चौधरी ने बताया कि ब्लैक फंगस के मामले में बिना डॉक्टरी सलाह के खुद से कोई भी दवा का सेवन करना बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है, खासकर ऐसी दवा, जिसमें स्टेरॉइड हो।

ब्लैक फंगस के लिए धूलकण और सस्ते स्प्रे सैनिटाइजर भी जिम्मेदार

बाजार में मिलने वाले सैनिटाइजर में करीब पांच फीसद मिथेनॉल मौजूद। तेजी से बढ़ रहे फंगल इंफेक्शन के पीछे कोरोना को ठीक करने वाले एस्टेरॉयड ही नहीं बल्कि धूल प्रदूषण और सैनिटाइजर भी काफी जिम्मेदार हैं। दुनिया में भारत ही एक मात्र देश है जहां पर ब्लैक फंगस इतना तेजी से फैल रहा है। जगह-जगह चल रहे निर्माण कार्य और स्प्रे वाले सैनिटाइजर नांक और आंख में कवक के संक्रमण को बढ़ा रहे हैं और आंखों की रोशनी छीन रहे हैं। बाजार में मिलने वाले सैनिटाइजर में पांच फीसद के आसपास मिथेनॉल है।

आइआइटी-बीएचयू में सिरामिक इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक डॉ. प्रीतम सिंह के अनुसार इन सस्ते स्प्रे सैनिटाइजर का उपयोग तत्काल बंद कर दिया जाए। आंख और नाक में इनके जाते ही ब्लैक फंगस उगने लग रहे हैं। इससे आंखों की रेटिना खराब हो रही है जिससे रोशनी धीरे-धीरे खत्म हो रही और व्यक्ति अंधा हो रहा है। सैनिटाइजर के बजाय डिटॉल, साबुन और हैंडवाश का उपयोग करें। 


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