कच्चे माल की कमी का हवाला देकर बंगाल में एक और जूट मिल बंद, 3500 कामगार प्रभावित
संकट-पिछले 10 दिनों के भीतर बंगाल में तीन जूट मिल बंद। लगातार जूट मिलें बंद होने से कामगारों के सामने रोजी-रोटी का संकट। मिल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कमी का हवाला देकर अबतक बंगाल में तीन जूट मिलें बंद। 40 से 45 हजार श्रमिक बेरोजगार हो चुके हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में कच्चे माल की कमी का हवाला देकर एक के बाद एक जूट मिलों के बंद होने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में हुगली जिले में श्यामनगर नार्थ एवं गोंदलपाड़ा के बाद अब चांपदानी स्थित नार्थ ब्रुक जूट मिल में भी मंगलवार को ताला लटक गया। प्रबंधन ने कच्चे माल की कमी का हवाला देकर मिल में काम बंद करने की घोषणा की और इस बाबत नोटिस जारी कर गेट पर चिपका दिया। मिल प्रबंधन के इस फैसले के बाद हुगली जिले में स्थित इस जूट मिल में काम करने वाले करीब साढ़े तीन हजार श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं। प्रबंधन के इस कदम से श्रमिकों में काफी नाराजगी है।
मिल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की
कामगारों का आरोप है कि मालिक ने मनमानी तरीके से एक बार फिर से मिल में तालाबंदी कर दिया है, जिससे उनके सामने रोजी- रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। दरअसल, मंगलवार की सुबह रोजाना की तरह जब मजदूर काम पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मिल का गेट बंद है ओर बंद गेट पर कार्य स्थगन की नोटिस लगी है। इसके बाद मजदूरों का गुस्सा फूट पड़ा और मिल प्रबंधन के खिलाफ उन्होंने जमकर नारेबाजी की।
कमी का हवाला देकर बंगाल में तीन जूट मिलें बंद
बताया गया है प्रबंधन एवं श्रमिकों के बीच चल रहे अनबन के चलते सोमवार से मिल में गतिरोध जारी था। इस बीच अचानक मिल को बंद कर दिया गया। मजदूरों का कहना है कि पिछले तीन साल के अंदर इस कोरोना महामारी के बीच मिल में चार बार तालाबंदी हो चुकी है। बताते चलें कि पिछले 10 दिनों के भीतर कच्चे माल की कमी का हवाला देकर इसको लेकर बंगाल में तीन जूट मिलें बंद हो चुकी है।
7 को उत्तर 24 परगना के नैहाटी जूट मिल बंद
इससे पहले साल के प्रथम दिन यानी एक जनवरी को हुगली के चंदननगर स्थित गोंदलपाड़ा जूट में काम बंद करने की घोषणा की गई थी। इसके बाद सात जनवरी को उत्तर 24 परगना के नैहाटी जूट मिल को बंद कर दिया गया था, जिसमें करीब 4,000 श्रमिक काम करते थे।
करीब 40 से 45 हजार श्रमिक बेरोजगार हो चुके हैं
वहीं, जूट मजदूरों के संगठन के एक सूत्र ने दावा किया कि पिछले 12 महीनों में कच्चे माल की कमी का हवाला देकर बंगाल में करीब दर्जन भर जूट मिलें बंद की जा चुकी है और इस कारण करीब 40 से 45 हजार श्रमिक बेरोजगार हो चुके हैं।
सुवेंदु ने ममता सरकार को घेरा, कहा- औद्योगिक विकास का कब्रिस्तान बन गया है बंगाल
इधर, बंगाल में एक के बाद एक जूट मिलों के बंद होने पर विधानसभा में विपक्ष के नेता व भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने मंगलवार को ममता सरकार को घेरते हुए करारा हमला बोला। उन्होंने ट्वीट कर इस साल के पहले 10 दिनों में ही तीन जूट मिलों समेत एक बिस्कुट फैक्ट्री के बंद होने का हवाला देकर कहा कि ममता बनर्जी के अक्षम नेतृत्व में बंगाल ने औद्योगीकरण में कैसा प्रदर्शन किया है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है।
ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण दिनों को देखने के लिए क्या अपनी बेटी को वोट दिया था?
उन्होंने कहा कि इन मिलों में काम करने वाले लगभग 10,000 श्रमिकों को अनिश्चित भविष्य के साथ बेरोजगार कर दिया गया है। सुवेंदु ने यहां तक कहा कि बंगाल औद्योगिक विकास का कब्रिस्तान बन गया है। उन्होंने अंत में सवाल किया कि क्या बंगाल के लोगों ने ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण दिनों की शुरुआत करने के लिए अपनी बेटी को वोट दिया था?
बवाल के बाद 2014 में जूट मिल के मालिक की भी कर दी गई थी हत्या
बताते चलें कि जून 2014 में मिल प्रबंधन एवं मजदूरों के बीच हुए बवाल में श्रमिकों ने इस मिल के सीइओ एच के माहेश्वरी की कथित रूप से पीट- पीट कर हत्या भी कर दी थी। इधर, मिल तृणमूल ट्रेड यूनियन के नेता राम बाबू साव का कहना है कि उन्होंने अपने स्तर से मिल बंद होने की जानकारी श्रममंत्री बेचाराम मन्ना को दी हैं। मालूम हो कि हुगली जिले में कुल दस जूट मिलें है। इनमें से श्रीरामपुर की इंडिया जूट मिल लंबे समय से बंद पड़ी है।
दिसंबर में भद्रेश्वर की श्यामनगर नार्थ जूट मिल में प्रबंधन ने ताला जड़ा था
एशिया की सबसे प्राचीन रिसड़ा की वलिंग्टन जूट मिल भी पिछले दिनों खुलने के बाद भी इसमें पूर्ण रूप से उत्पादन का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। दिसंबर माह में भद्रेश्वर की श्यामनगर नार्थ जूट मिल में प्रबंधन ने ताला जड़ा था जबकि इस साल के प्रथम दिन यानी एक जनवरी को चंदननगर स्थित गोंदलपाडा जूट प्रबंधन ने कच्चे माल की कमी का हवाला देकर मिल बंद कर दिया था।