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गलत ऑडिशन से सही राह पकड़कर बन गई सिंगिंग सेंसेशन

वह बनना चाहती थी डासर पर चली गई सिंगिंग रियल्टी शो का ऑडिशन देने और आज बन गई है देश की सिंगिंग सेंसेशन। 15 साल की अंकोना मुखर्जी की कहानी सच में निराली है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 08:39 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 06:26 AM (IST)
गलत ऑडिशन से सही राह पकड़कर बन गई सिंगिंग सेंसेशन
गलत ऑडिशन से सही राह पकड़कर बन गई सिंगिंग सेंसेशन

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : वह बनना चाहती थी डासर, पर चली गई सिंगिंग रियल्टी शो का ऑडिशन देने और आज बन गई है देश की सिंगिंग सेंसेशन। 15 साल की अंकोना मुखर्जी की कहानी सच में निराली है। पश्चिम बंगाल के पिछड़े जिलों में शामिल बाकुड़ा के छोटे से शहर विष्णुपुर से निकलकर आज यह बाला 'इंडियन आइडल' के मंच से देशभर में अपनी सुरीली आवाज से धूम मचा रही है। अंकोना की उपलब्धि पर पूरा बांकुड़ा गर्व कर रहा है। जिले के लोग अपनी बिटिया के 'इंडियन आइडल' का ताज पहनकर लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। डास सीखते-सीखते यूं बन गई सिंगर

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अंकोना के गायिका बनने को अजब संयोग कहा जा सकता है। कारण, उसने खुद भी कभी गायिका बनने के बारे में नहीं सोचा था। विष्णुपुर के बहादुरगंज इलाके में पली-बढ़ी अंकोना ने बताया-'शुरू में मुझे डास का बहुत शौक था। मैं खूब मन लगाकर डास सीखती थी। दिल में बहुत बड़ी डासर बनने की इच्छा थी। हमारे घर में जब कोई पूजा होती थी, तब सगे-संबंधी जमा होते थे। उस वक्त मेरी मा गाती थी और मैं उनके गानों पर डास किया करती थी। उस वक्त मैं भी थोड़ा गुनगुना लेती थी। मेरे गाने सुनकर लोग मुग्ध हो जाते थे और मा से मुझे गाना सिखाने के लिए कहते थे, हालाकि मेरी गायकी में कोई दिलचस्पी नहीं थी और घरवाले भी इसे गंभीरता से नहीं लेते थे। जब साढ़े पाच साल की हुई, तब दादी के कहने पर घरवाले मुझे एक सिंगिंग रियल्टी शो के ऑडिशन में ले गए। वहा ले जाने का उद्देश्य बस ऑडिशन के माहौल से परिचित कराना था ताकि बाद में किसी सिंगिंग रियल्टी शो का ऑडिशन देने जाने पर मुझे ज्यादा दिक्कत न हो। चूंकि मैं गुनगुना लेती थी, इसलिए यूं ही ऑडिशन दे दिया। जजों को मेरी आवाज इतनी पसंद आई कि उन्होंने तुरंत मुझे चुन लिया। उसके बाद एक-एक राउंड पार करके मैं मेन राउंड तक पहुंच गई। उसी दौरान मुझे अहसास हुआ कि मेरी मंजिल डासिंग नहीं, सिंगिंग है। इसके बाद मैंने गायकी को गंभीरता से लेना शुरू किया। मा से शुरुआती तालीम ली, जो खुद भी प्रशिक्षित गायिका हैं, हालाकि उन्होंने कभी इसे पेशेवर तौर पर नहीं लिया। 10 साल की हुई तो रथिजीत भट्टाचार्य से पेशेवर तौर पर संगीत सीखना शुरू किया। पिछले साल 'सुपर स्टार सिंगर' का ऑडिशन दिया और फाइनलिस्ट बनी। वहीं से वाइल्ड कार्ड एंट्री के जरिए इंडियन आइडल के मंच पर पहुंच गई।' गायकी के साथ संगीत में भी निपुण

विष्णुपुर के शिवदास सेंट्रल ग‌र्ल्स हाई स्कूल में दसवीं की छात्रा अंकोना को सिर्फ गायकी में ही महारत हासिल नहीं है बल्कि संगीत की भी काफी अच्छी समझ है। वह एकतारा, आर्गन, मेलोडिनी, गिटार समेत कई वाद्य यंत्र बजा लेती है। आरडी बर्मन, एआर रहमान और प्रीतम उसके पसंदीदा संगीतकार हैं। गायक-गायिकाओं में उसे लता मंगेशकर, किशोर कुमार, अलका याग्निक, कुमार सानू, उदित नारायण, श्रेया घोषाल और अरिजीत सिंह पसंद हैं। कुमार सानू तो अंकोना की गायकी के इस कदर कायल हो गए कि उन्होंने उसके साथ युगल गीत गाने की इच्छा जता दी। अंकोना के पिता दिब्येंदु मुखर्जी चौकन प्राथमिक विद्यालय में प्रधान शिक्षक हैं। मा मौसमी मुखर्जी गृहिणी हैं। अंकोना को खाने-पीने और तस्वीरें खींचने का काफी शौक है।


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