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ममता के अभेद्य दुर्ग, दक्षिण 24 परगना जिले में अमित शाह का मास्टर स्ट्रोक, गंगासागर आकर अमित शाह यूं कर गए अपना काम!

ममता केंद्र पर गंगासागर की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पिछले कई वर्षों से इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की मांग करती आ रही हैं। वह यह कहने से भी नहीं चूकतीं कि सागर मेले के लिए केंद्र एक पैसा नहीं भेजता।

By PRITI JHAEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 09:19 AM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 09:58 AM (IST)
ममता के अभेद्य दुर्ग, दक्षिण 24 परगना जिले में अमित शाह का मास्टर स्ट्रोक, गंगासागर आकर अमित शाह यूं कर गए अपना काम!
गंगासागर तट पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह।

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। केंद्र सरकार का कोई मंत्री गंगासागर क्यों नहीं आता? सागर मेले को आखिर राष्ट्रीय मेले का दर्जा कब मिलेगा? ये दो ऐसे सवाल थे, जो गंगासागर की लहरों की तरह वर्षों से यहां के लोगों के मन में उमड़ रहे थे। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को गंगासागर आकर इन दोनों सवालों के जवाब दे दिए। ममता के अभेद्य दुर्ग दक्षिण 24 परगना जिले में इसे अमित शाह का मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है।

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दक्षिण 24 परगना जिले में भाजपा अब तक नहीं कर पाई है सेंधमारी

यह वह जिला है, जहां पिछले लोकसभा चुनाव में बंगाल में भारी सफलता हासिल करने के बावजूद भाजपा सेंधमारी नहीं कर पाई थी। जिले की चारों लोकसभा सीटों जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर और जादवपुर पर तृणमूल ने परचम लहराया था। कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट का कुछ हिस्सा भी इसी जिले के तहत पड़ता है। वहां भी तृणमूल का एकछत्र राज है।

भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने पुण्य धाम आकर बेहद जबर्दस्त दांव चला है। ममता बनर्जी की सरकार मकर संक्रांति पर हर साल यहां बेहद बड़े पैमाने पर सागर मेले का आयोजन करती है। इसमें करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। इस बार कोरोना के बावजूद सागर मेले के आयोजन में कोई कसर नहीं छोड़ी गई थी।

ममता वर्षों से इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की करती आ रही हैं मांग

ममता केंद्र पर गंगासागर की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पिछले कई वर्षों से इसे राष्ट्रीय मेले का दर्जा देने की मांग करती आ रही हैं। वह यह कहने से भी नहीं चूकतीं कि सागर मेले के लिए केंद्र एक पैसा नहीं भेजता। गंगासागर की उपेक्षा को लेकर कपिल मुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास जी महाराज से स्थानीय लोगों तक में कहीं न कहीं केंद्र के प्रति नाराजगी थी। सागर मेले के समय जहां ममता सरकार के आधे दर्जन मंत्री यहां आकर डटे रहते हैं, वहीं केंद्र का कोई मंत्री तो दूर, उनका प्रतिनिधि तक यहां नजर नहीं आता। ऐसे में सबके मन में यह सवाल उमड़ रहा था कि मोदी सरकार का कोई मंत्री कभी यहां आएगा भी?

केंद्रीय गृहमंत्री ने खुद यहां आकर उनके इस सवाल का जवाब दे दिया है। गंगासागर के लोगों के लिए सोने पे सुहागा यह रहा कि शाह ने खुद से इसे राष्ट्रीय मेला घोषित करने की भी बात कह डाली लेकिन मास्टर स्ट्रोक लगाते हुए उन्होंने इसका फैसला ममता के मजबूत दुर्ग की जनता के हाथों में ही छोड़ दिया है।

शाह ने कहा कि बंगाल में भाजपा की सरकार बनने पर सागर मेले को राष्ट्रीय मेला घोषित कर दिया जाएगा जबकि यह फैसला केंद्र अभी भी ले सकता है यानी परोक्ष तौर पर शाह ने दक्षिण 24 परगना जिले के लोगों के सामने भाजपा को जिताने की शर्त रख दी है। शाह के इस एलान से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के हाथों से एक अच्छा-खासा 'रेडी टू यूज' मुद्दा फिसल गया है, जिससे उसे सागरद्वीप के लोगों का वोट आसानी से मिलता आ रहा था। शाह ने गंगासागर को अंतरराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का भी भरोसा दिया है।

जिले के मछुआरा वोट बैंक को भी साधने की कोशिश

शाह ने जिले के मछुआरा वोट बैंक को भी साधने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि बंगाल में भाजपा की सरकार बनने पर मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया जाएगा। पीएम निधि सम्मान की तरह मछुआरों के लिए भी प्रकल्प शुरू किया जाएगा। उन्हें सालाना छह हजार रुपये दिए जाएंगे। यह सुविधा चार लाख मछुआरों को मिलेगी। 


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