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सोनिया गांधी को गठबंधन के लिए वार्ता भेजे जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस बोली-दूसरे भाजपा विरोधी दल भी पहल करें

तृणमूल के राज्य महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा-हमने कभी नहीं कहा कि तृणमूल भाजपा विरोधी गठबंधन का नेतृत्व करना चाहती है। हम बस भाजपा को हराना चाहते हैं। हमारी नेत्री ने इस बाबत पहल की है। दूसरे भाजपा विरोधी दलों को भी इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 05:39 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 05:39 PM (IST)
सोनिया गांधी को गठबंधन के लिए वार्ता भेजे जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस बोली-दूसरे भाजपा विरोधी दल भी पहल करें
तृणमूल के राज्य महासचिव पार्थ चटर्जी बोले, हम बस भाजपा को हराना चाहते हैं।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को गठबंधन के लिए वार्ता भेजे जाने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि दूसरे भाजपा विरोधी दल भी इस बाबत पहल करें। दूसरी तरफ ममता के प्रस्ताव पर कांग्रेस की तरफ से अब तक कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है। बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने तो साफ तौर पर कह दिया है कि देश में भाजपा विरोधी गठबंधन है लेकिन उसमें तृणमूल शामिल नहीं है।

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तृणमूल के राज्य महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा-'हमने कभी नहीं कहा कि तृणमूल भाजपा विरोधी गठबंधन का नेतृत्व करना चाहती है। हम बस भाजपा को हराना चाहते हैं। हमारी नेत्री ने इस बाबत पहल की है। दूसरे भाजपा विरोधी दलों को भी इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।' वहीं तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि पार्टी की तरफ से ऐसा कभी नहीं कहा गया कि काग्रेस को गठबंधन में शामिल नहीं किया जाएगा। पार्टी दरअसल कांग्रेस को नींद से जगाना चाहती थी।

गौरतलब है कि ममता की तरफ से ऐसे समय सोनिया को वार्ता दिया गया है, जब तृणमूल गोवा में कांग्रेस के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी इस बाबत कई बार गोवा का दौरा भी कर चुके हैं। गोवा कांग्रेस के कई नेताओं को पार्टी अपने साथ जोड़ चुकी है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व पहले ही तृणमूल से खफा है। कुछ समय पहले तक तृणमूल कांग्रेस से दूरी बनाकर भी चल रही थी।

कांग्रेस के एक वर्ग का कहना है कि ममता को इस बात का अहसास हो गया है कि कांग्रेस को साथ लिए बिना भाजपा विरोधी मजबूत गठबंधन नहीं तैयार किया जा सकता इसलिए उन्होंने अपने रुख में बदलाव किया है लेकिन एक तरफ विभिन्न राज्यों में कांग्रेस को कमजोर करने की रणनीति और दूसरी तरफ भाजपा को हराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उसी के साथ गठबंधन करने के प्रस्ताव को कैसे स्वीकार किया जा सकता है?


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